पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२५९

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(२४० ) टि-रघुराज सिंह का जन्म काल सं० १८८०, सिंहासनारोहण काम सं० १९११ । न कि १८३४ ई०, सं०. १८९१ ) और मृत्युकाल सं १९३६ है । यह १८८३ ई० (सं० १९४० ) में जीवित नहीं थे। -सर्वेक्षण ७३७. अध्याय १०, भाग १ का परिशिष्ट ५३३. परम कवि-बुन्देलखण्डी, महोबा के । जन्म १८१४ ई० नखशिख के रचयिता। ५३४. रसिक लाल कवि-बाँदा के । जन्म १८२३ ई० । शृङ्गारी कवि। ..., ५३५. गुनसिंधु कवि--बुन्देलखण्डी । जन्म १८२५ ई० । कुशल शृङ्गारी कवि । ५३६. खंडन कवि - बुन्देलखण्डी । जन्म १८२७ ई० । । इन्होंने नायिकाभेद का एक अच्छा ग्रन्थ लिखा है । शिव सिंह के अनुसार ' उक्त ग्रंथ की प्रतियाँ झाँसी में हैं। इन्होंने ग्रन्थ-स्वामियों का नाम भी लिखा है। टि--खंडन का रचनाकाल सं० १७८१-१८१९ है। अतः १८२७ ई. (सं० १८८४ ) अशुद्ध है। यह न जन्मकाल है, न उपस्थिति काल है। इनके नायिका भेद के ग्रंथ का नाम सरोज के अनुसार भूषणदाम है, जो वस्तुतः अलंकार-ग्रंय है। इसका रचना काल सं० १७८७ है। इन्होंने नायिका भेद का कोई ग्रंथ नहीं लिखा । . सर्वेक्षण १४२ ५३७. मदनमोहन कवि-बुन्देलखण्डी, चरखारी के । जन्म १८२३ ई० 1 .. राग कल्पद्रुम । चरखारी के राजा के मंत्री । शृङ्गारी कवि । ५३८. राम किशुन चौवे-कालिंजर, जिला बौदा के । जन्म १८२९ ई० । । विनय पचीसी नामक शांतरस के ग्रंथ के रचयिता ! यह सम्भवतः वह 'रामकिशुन कवि' भी हैं, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने बिना कोई विवरण दिए ही किया है। . . टि-कालिंजर बुन्देलखण्ड में है, पर बाँदा जिले में नहीं है। इनका रचना काल सं० १८१७.६० है, अतः १८२९ ई० (सं० १८८६) न तो . इनका जन्म काल है, न उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण ७२७