पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२६१

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५४५. नोने कवि-बाँदा, बुन्देलखंड के बंदीजन और कवि । जन्म १८४४ ई० । यह कवि हरिदास (सं० ५३९) के पुत्र थे। यह भाषा साहित्य में परम प्रवीण थे। टिक-इनके पिता हरिदास का रचनाकाल सं० १८११. है, अतः १८४४ ई० (सं० १९०१ ) इनका जन्मकाल नहीं हो सकता । अधिक से अधिक यह इनके जीवन का सांध्यकाल हो सकता है। --सर्वेक्षण ४४७ ५४६. हरिदास कवि----परना, बुंदेलखंड के कायस्थ । जन्म १८४४ ई० । भाषा साहित्य के रस कौमुदी नामक ग्रंथ के रचयिता । इन्होंने इसी ढंग के और भी १२ ग्रंथ लिखे हैं।। टिo-हरिदास (मूल नाम हरिप्रसाद ) का जन्म सं० १८७६ में एवं देहांत २४ वर्ष की अल्प आयु में सं० १९०० में हुआ। अत: १८४५ ई. (सं० १९०१) इनका न तो जन्मकाल है, न उपस्थिति काल ही। यह अशुद्ध है। रस कौमुदी की रचना सं० १८९७ में हुई थी। -सर्वेक्षण ९६० ५४७. हिरदेस कवि-बुंदेलखंडी, झौंसी के भाट । जन्म १८४४ ई०! . शृङ्गार संग्रह । 'शृङ्गार नवरस' नामक ग्रंथ के रचयिता। ५४८. नीलसखी-जैतपुर, बुंदेलखंड के । जन्म १८४५ ई०। टिo-नीलसखी का रचनाकाल सं० १८४० है। १८४५ ई० (सं० १९०२) इनका जन्मकालं नहीं, यह इनके जीवन का सांध्यकाल भी नहीं हो सकता। -सर्वेक्षण ४२० ५४९. वंसगोपाल-जालौन, बुंदेलखंड के वंदीजन । जन्म १८४५ ई० 1. कोई विवरण नहीं। यह संभवतः वही हैं, जिनका उल्लेख शिव सिंह ने 'वंशगोपाल' नाम से बिना तिथि दिए वंदीजन कह कर किया है। टिक-ग्रियर्सन की संभावना ठीक प्रतीत होती है।. . -सर्वेक्षण ५४२, ५८५ ५५०. नैसुक कवि-बुंदेलखंडी । जन्म १८४७ ई० । .. शृंगारी कवि। ५५१. अंवर भाट-बुंदेलखंडी, चौजीतपुर के । जन्म १८५३ ई० । - टि०-१८५३ ई० (सं० १९९० ) इनका उपस्थितिकाल है। --सर्वेक्षण ४०