पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२६२

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( २४३ ) ५५२. दीनानाथ-बुंदेलखंडी । जन्म १८५४ ई० । दि०-दीनानाथ का अस्तित्व संदिग्ध है। यदि इनका अस्तित्व है भी, तो १८५४ ई० (सं० १९११) जन्मकाल न होकर उपस्थिति काल होना चाहिए। -सर्वेक्षण ३५७ ५५३. पंचम कवि-बुंदेलखंडी बंदीजन, नवीन, जन्म १८५४ ई०। यह अजयगढ़ के राजा गुमान सिंह के दरबारी कवि थे । टि-गमान सिंह का शासनकाळ सं० १८२२-३५ है। अतः १८५४ ई० (सं० १९११) न तो कवि का जन्मकाल है और न उपस्थिति काल ही। यह पूर्णरूपेण अशुद्ध है। -सर्वेक्षण ४६५ ५५४. राधेलाल-बुंदेलखंडी। राजगढ़ के कायस्थ । जन्म १८५४ ई० । टि०-१८५४ ई० (सं० १९११ ) उपस्थिति काल है । -सर्वेक्षण ७९३ ५५५. कुंजलाल कवि-मऊ रानीपुरा, जिला झौंसी, बुंदेलखंड के बंदीजन और कवि, जन्म १८५५ ई० । इनकी कुछ फुटकर कविताएँ मिलती हैं। टि०-१८५५ ई० (सं० १९१२) उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण ८३ ५५६. जनकेस-मऊ रानीपुरा, जिला झाँसी, बुंदेलखंड के बंदीजन ! जन्म १८५५ ई० । यह छतरपुर के राजा के नौकरों में से हैं। इनकी कविताएँ मधुर कही जाती हैं। ... टि–१८५५ ई० (सं० १९१२ ) उपस्थिति काल है। --सर्वेक्षण २६४ ५५७. कान्ह कवि-द्वितीय, उपनाम कन्हई लाल, राजनगर, बुंदेलखंड के कायस्थ । जन्म १८५७ ई० । इन्होंने कुछ अच्छी कविताएँ लिखी हैं। इनका नखशिख देखने योग्य कहा जाता है। टि०-इनका नखशिख सं० १८९८ में रचा गया । अतः १८५७ ई० (सं० १९१४) इनका उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल । -सर्वेक्षण ८७