पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२६३

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(२४४.) ... ५५८. जवाहिर कवि-श्रीनगर, बुंदेलखंड के बंदीजन और कवि ! जन्म . १८५७ ई० । टि०-१८५७ ई० (सं० १९१४ ) उपस्थिति काल है। . . . . . . __ --सर्वेक्षण २६८ __ भाग २, बनारस ५५९. रघुनाथ कवि---वन्दीजन, बनारसी । १७४५ ई० में उपस्थित । शृङ्गार संग्रह । यह मुकुन्द लाल (सं० ५६०) के सहपाठी और महा. . भारत के अनुवादक गोकुल नाथ (सं० ५६४) के पिता थे। यह बनारस. के. महाराज बरिचण्ड सिंह के दरबारी कवि थे । पञ्चकोशी के भीतर स्थित चौरा- " . गाँव में रहते थे। यह भाषा साहित्य के आचार्यों में गिने जाते हैं । यह (१) रसिक मोहन, (२) जगमोहन, (३) काव्य कलाधर ( १७४५ ई० में विरचित),.. (४) इश्क महोत्सव, और (५) बिहारी लाल (सं० १९६) की सतसई पर एक भाष्य के रचयिता हैं । ये सभी विशेष रूप से प्रशंसित ग्रंथ हैं। . टि---मुकुन्द लाल रधुनाथ के काव्य-गुरु थे, सहपाठी नहीं। बरिबण्ड सिंह और पाद टिप्पणी में उल्लिखित बलवन्त सिंह एक ही व्यक्ति हैं। ५६०. मुकुन्द लाल कवि-बनारसी । जन्म ( ? उपस्थिति ) १५४६ ई० । — सत्कविगिराविलास । यह रघुनाथ कवि (सं० ५५९) के सहपाठी थे। संभवतः यही लाल मुकुन्द (सं० ३९१ ) भी हैं। टि-जैसा कि ऊपर कहा गया है सुकुन्द लाल रघुनाथ के सहपाठी . नहीं, गुरु थे । अतः १७४६ ई. इनका जन्मकाल नहीं है, उपस्थितिकाल .... है। यह ठीक है कि ५६० संख्यक मुकुन्द लाल और ३९१ संख्यक लाळ मुकुन्द एक ही व्यक्ति है। -सर्वेक्षण ६३४, ८०६ ५६१. लाल कवि-बनारसी। १७७५ ई० के आसपास. उपस्थित । सुन्दरी तिलक । यह बनारस के राजा चेतसिंह ( १७७०-१७८१) के .. दरबारी कवि थे। इन्होंने आनन्द रस नामक नायिका भेद का एक ग्रेथ और . बिहारी लाल (सं० १९६ ) की सतसई पर लाल चन्द्रिका नाम्नी टीका रची। मिलाइए सं० ६२९ । १. शिवसिंह का ऐसा कथन है, पर मुझे तो बनारस के राजाओं की सूची में यह नाम. कहीं नहीं मिला । संभवतः बलवन्त सिंह ( शासनकाल १७४०-१७७० ) से अभिप्राय है। .