पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२६९

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( २५०) भंजन (सं० ४६८). ऋषिनाथ ( सं० ७९४). संतन ( सं० ४७२) दयालदेव (सं० ८३६) सिंह (१ सं० ४७८) देवी सिंह (सं० ८४३.) दत्त (सं० ४७५) नबी (सं० ८४८) मनिराम (सं० ४७७) नाथ (सं० ८५०) संगम (सं० ४८०) मनसाराम (सं०८८५) ऊधो ( सं० ४९५) मीरन (सं० ८९२) . पदमाकर (सं० ५०६) रजन (सं० ८९८) पजनेस ( सं० ५१०) रमापति (सं० ९००) . नवल ( सं० ५२६) ससिनाथ (सं० ९३१) हिरदेस (सं० ५४७) शिवराज (सं० ९३२). रघुनाथ (सं० ५५९) हरिलाल (सं० ९४६ ) . देव (सं० ५६९) हेम (सं० ९५०) सरदार (सं० ५७१) भीम (सं०१) शिवदत्त (सं० ५८८) . छत्त (सं०१) गिरिधारी ( सं० ६२५) देवन (सं०१) चैनराय (सं० ६२७) धनेश ( सं०१) देवकीनन्दन (सं०६३०) धर्म (सं०१) गुरुदत्त (.सं० ६३१) मकसूदन (सं०१) दिनेश (सं० ६३३) मनराज (सं० १). गुलाल (सं० ६५७) मिथिलेश (सं०१) बलिराम (सं० ७६८) रतिनाथ (सं० १) धुरंधर (सं० ७८२) साहबराम (सं०१) नायक (सं० ७८३) समाधान (सं०१) महराज (सं० ७९३) तुलाराय (सं०१) टि०-१८८३ ई० (सं० १९४०) ही सरदार का मृत्युकाल है। आठवाँ ग्रंथ अर्थात् शृङ्गार संग्रह अलंकार का ग्रन्थ नहीं है। यह काम्य-संग्रह है। इसमें नायिका भेद आदि के क्रम से इनकी एवं अन्य अनेक पुराने नए कवियों की कविताएँ संकलित हैं। -सर्वेक्षण ९२७ ५७२. नारायनराय-वंदीजन बनारसी । १८८३ ई० में जीवित । यहं कवि सरदार (सं० ५७३) के शिष्य थे । इन्होंने भाषा-भूषपा.