पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७३

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( २५४ ) परिचय व्यास रामशंकर शर्मा द्वारा रचित, हरि प्रकाश प्रेस बनारस से इनकी । मृत्यु के शीघ्र अनन्तर १८८५ में प्रकाशित, 'चन्द्रास्त' में दिया गया है। हरिश्चन्द्र कृत 'काश्मीर कुसुम ( काश्मीर का इतिहास) ग्रंथ के अन्त में भी इनके जीवन का संक्षिप्त विवरण और इनके द्वारा रचित प्रायः १०० ग्रंथों की सूची दी गई है। एक ग्रंथ, जिसका उल्लेख इस सूची में नहीं हुआ है, 'काशी का छाया चित्र' है, जिसमें बनारसी बोली में अनेक विचित्र प्रयोग है । इनका एक और अत्यन्त प्रसिद्ध ग्रंथ 'कविवचनसुधा' है, जो पावस सम्बन्धी कविताओं का संग्रह है। इनके संपूर्ण ग्रंथों का संग्रह आजकल खङ्गविलास प्रेस बाँकी पुर के स्वामी रामदीन सिंह द्वारा हरिश्चन्द्र कला नाम से प्रकाश- नाधीन है। सुन्दरी तिलक में आए हुए कवियों की सूची नीचे दी जा रही है.-. अजवेस (सं० २४, ५३०) गोपालचंद्र उर्फ गिरिधर बनारसी आलम ( सं० १८१) (सं० ५८०) अलीमन ( सं० ७८४) ग्वाल ( सं० ५०७) अनंत ( सं० २५०) हनुमान (सं० ७९६) बलदेव (सं० २६३) हरिकेस (सं० २०३) वेनी (सं० २४७, ४८४, ६७१) : | हरिश्चन्द्र (सं०५८१) वेनीग्रवीन (सं०६०८) कविराज (सं० ६६१) . भगवंत (सं०३३३) कालिका (सं० ७८०) बोधा (सं० ४४९) किशोर ( सं० ३८५) ब्रह्म (सं० १०६) लाल (सं० ५६१) चंद (सं०६,? सं० ९३) महा (सं० ४०३) . . छितिपाल (सं० ३३२) महराज (सं० ७९३) दास (सं० ३६९) मकरंद ( सं० ४५७) दयानिधि ( १ सं० ३६५, ७४३ ) | मंडन (सं० १५४) देव (सं० ५६९) मणिदेव (सं० ५६६) देवकीनंदन (सं०.६३०) मझालाल उपनाम द्विज (सुंदरी तिलक गंग (सं० ११९) नामावली में मुन्नालाल है )1 घन आनंद (सं० ३४७) (सं० ५८३) घनश्याम (सं० ९२) | मान सिंह उपनाम द्विजदेव गोकुलनाथ (सं० ५६४) . (सं० ५९९) १. बनारस-मल्लिक चन्द्र ऐण्ड कम्पनी, १८८४ ।