पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७५

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(२५६ ) हैं। कम से कम दोनों का कवि-नाम 'द्विज' है। दूसरी ओर, जो बात हो, यह गोवर्द्धननाश के सुंदरी तिलक की नामावली में 'मुन्नालाल' कहे गए हैं। टिक-मन्नालाल बनारसी का उपनाम 'द्विज' है; मान सिंह' शाकद्वीपी का नाम 'द्विजदेव' है । दोनों भिन्न भिन्न व्यक्ति हैं। । अध्याय १०, भाग २ का परिशिष्ट ५८४. मनियार सिंह-अत्रिय, बनारसी, जन्म १८०४ ई०। ... . इनके प्रसिद्ध ग्रंथ हैं हनुमत् छब्बीसी और भाषा सौंदर्य लहरी। टिक-मनियार सिंह चेत सिंह के समकालीन हैं। इन्होंने सं० १४४९ (१७९२ ई०) में महिला कवित्त की रचना की थी,, अंतः १८०४ इनक उपस्थिति काल है, न कि जन्मकाल ।। सर्वेक्षण ६७० ५८५. गजराज उपाध्या-बनारसी। जन्म १८१७ ई.। . इन्होंने बृत्तहार नामक पिंगल ग्रंथ और एक रामायण की रचना की है। टि-वृत्तहार की रचना सं० १९०३ में हुई। १८३७ ई० (सं० १८७४) जन्मकाल हो सकता है। ... -सर्वेक्षण १९२ . ५८६. बंस रूप कवि-बनारसी। जन्म १८४४ ई० । महाराज बनारस के प्रशस्ति गायक। ५८७. माधवानंद भारती-बनारसी । जन्म १८४५ ई०। शंकर दिग्विजय के अनुवादक। टि-इन्होंने सं० १९२६ में कैलाश मार्ग की रचना की। १८४५ ई० (सं० १९०२) उपस्थिति काल है, जन्मकाल नहीं। .... --सर्वेक्षण ६८३ ५८८. सिवदत्त-ब्राह्मण, बनारसी । जन्म १८५४ ई० ।। शृंगार संग्रह । संभवतः वह भी, जिनका उल्लेख शिव सिंह ने बिना विवरण दिए 'शिवदत्त कवि नाम से किया है। टि०-१८५४ ई० (सं० १९११) इनका जन्म काल न होकर, उपस्थिति काल है। इन्होंने सं० १९२६ में उत्पलारण्य माहात्म्य और १९२३ में ज्ञान प्राप्ति बारहमासी की रचना की थी। .. -सर्वेक्षण,९४६ ... सरोज ( सर्वेक्षण ८४९) के दूसरे शिवदत्त इनसे भिन्न हैं । यह प्रयाग के थे। ,