पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७६

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- १७ (२५७ ) भाग ३, औध ५८९. सुर्वस सुकल-बिगहपुर, जिले उन्नाव के । जन्म १७७७ ई० ।। राग कल्पद्रुम, विद्वन्मोद तरंगिणी । पहले यह, अमेठी जिला फर्रुखाबाद के बंधलगोती राजा उमराबसिंह के दरबारी कवि थे, जहाँ इन्होंने संस्कृत से अमरकोश (? राग कल्पद्रुम । देखिए सं० १७०, ५६७, ७६१), रस तरंगिणी और रसमंजरी का भाषानुवाद किया। तब यह ओयल के राजा सुब्बा सिंह ( सं० ५९०) के यहाँ गए और विद्वन्मोद तरंगिणी के संकलन में उनकी सहायता की। टिक--सुबंश शुक्ल का रचनाकाल सं० १८६१-४४ है। १७७७ ई० (सं० १८३४) इनका जन्मकाल हो सकता है। रसतरंगिणी का रचनाकाल सं० १८६१, अमर कोश का सं० १८६२ और रस मंजरी का स. १८६५ है । अमेठी सुलतानपुर जिले में है, न कि फलं स्वाबाद जिले में। साथ ही उमराव सिंह अमेठी के नहीं थे, यह बिसवाँ जिला सीतापुर के कायस्थ थे। -~~-सर्वेक्षण ९२६ ५९०. सुम्मा सिङ्घ--ओयल, जिला खीरो के राजा सुब्बासिंह चौहान, उपनाम श्रीधर कवि । १८१७ ई० में उपस्थित । :यह भाषा साहित्य के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ विद्वन्मोद तरंगिणी ( १८१७ ई० में लिखित; इस ग्रन्थ में Bid से संकेतित ) के रचयिता हैं। इसमें नायक नायिका भेद, सखा सखी, दूती, ऋतु वर्णन और विभिन्न रस इत्यादि की सभी सामग्रियों हैं। किन्तु ग्रन्थ का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसमें इनके गुरु सुवंश सुकल और ४४ अन्य कवियों की चुनी रचनाओं का संग्रह है। टिo.---श्रीधर जी ओयल के राजा नहीं थे, ओयल के राजा बखत सिंह के छोटे पुत्र थे। -सर्वेक्षण ८६७ ५९१. धौंकल सिद्ध-न्याबों, जिला रायबरेली के बैस । जन्म १८०३ ई० । इन्होंने कई छोटे छोटे ग्रंथ लिखे, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध रमल प्रश्न है, जिसमें उमा शंभु संवाद रूप में शकुन विचार है। टि०-१८०३ ई. ( सं० १८६०) उपस्थिति काल है। सं० १८६४ में 'रसल प्रश्न' की रचना हुई थी। --सर्वेक्षण ३८७