पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७७

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( २५८ ) ५९२, सहजराम-पैतेपुर जिला सीतापुर के बनिया । जन्म १८०४ ई०। इन्होंने एक रामायण लिखी है, जो रघुवंश और हनुमन्नाटक का अनुवाद है (१ राग कल्पद्रुम)। टि०-सहजराम की रामायण का नाम 'रधुवंश दीपक' है । इसका रचनाकाल सं० १७८९ है । अतः १८०४ ई० (सं० १८६१) इनका जन्मकाल नहीं। यह पूर्णतया अशुद्ध है। इस समय तक कवि के जीवित रहने की भी संभावना नहीं प्रतीत होती। -सर्वेक्षण ८८९ ५९३. रिखिराम मिसर-पट्टी के । जन्म (१ उपस्थिति) १८४४ ई.। .. यह अवध के दीवान बालकृष्ण के दरबारी कवि और 'वंशी कल्पलता नामक ग्रन्थ के रचयिता थे। टि-अवध के नवाब आसफुद्दौला के दीवान चालकृष्ण थे ! उक्त नबान का शासनकाल सं० १८३२-५४ है । अत: १८४४ ई० (सं० १९०१) अशुद्ध है। यह न जन्म काल है, न उपस्थिति काल । इस समय तक इनका जीवित रहना भी संभव नहीं प्रतीत होता । --सर्वेक्षण ७५९ ५९४. जीवनाथ–नवल गंज, जिला उन्नाव के भाट । जन्म १८१५ ई० ।। यह अवध के दीवान बालकृष्णा के कुटुंब के पुराने कवि थे। इन्होंने 'बसंत पचीसी' नामक एक अच्छा ग्रंथ रचा था । टि०-बालकृष्ण का समय सं० १८३२-५४ है, अतः १८१५ ई० (सं० . . १८७२) इस कवि का जन्म काल न होकर उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण २८१ ५९५, सिव सिद्धा-शिव सिंह सेंगर, काँथा जिला उन्नाव के । जन्म १८२१ ई० । यह शिव सिंह सरोज' के रचयिता है। मुख्यतया इसी ग्रंथ पर मेरा यह .. ग्रंथ निर्भर है। इन्होंने वृहच्छिय पुराण का भाषा और उर्दू दोनों में तथा :. ब्रह्मोत्तर खंड का केवल भाषा में अनुवाद किया था। इनके पास अरची, फारसी, संस्कृत और भाषा के हस्तलिखित ग्रंथों का विशाल संग्रह है, निमकी सूची बनाने में इन्हें सुख मिलता है। वह कौथा के तालुकेदार महाराजकुमार ठाकुर रणजीत सिंह सेंगर के पुत्र है और स्वयं पुलिस इंसपेक्टर हैं। . टि-सरोज में इन्होंने अपने को सं० १८७८ में उ०' दिखा है । यह । १८७८ ईस्वी सन है। इसी वर्ष इनका देहांत भी हो गया था। यह ४५ . __ वर्ष पूर्व १८३३ ई० में पैदा हुए थे। बृहच्छिच पुराण का भाषानुवाद इन्होंने