पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

( २५९) नहीं किया था। अनुवाद करनेवाले महानंद वाजपेयी थे। शिव सिंह को - संपादक कहा जा सकता है। --सर्वेक्षण ८५४ ५९६. मदन गोपाल सुकल-फतूहाबादी । जन्म १८१९ ई० । . यह कई वर्षों तक बलिरामपुर (जिला गोंडा) के राजा अर्जुन सिंह के दरबारी कवि रहे। उनके अनुरोध पर इन्होंने दो ग्रंथ लिखे-अर्जुन विलास और वैद्यक संबंधी एक सरल ग्रंथ 'वैद्यरत्न' । शिव सिंह ने दो और कवियों का उल्लेख किया है (१) मदनगोपाल, चरखारी बुंदेलखंड के, और (२) मदन गोपाल, बिना किसी विवरण के । इन दोनों में से किसी की तिथि उन्होंने नहीं दी है। टि०-१८१९ ई. कवि का जन्मकाल नहीं है, यह अर्जुन विलास का रचनाकाक है । सरोज ( सर्वेक्षण ६७७) के तिथि और स्थान हीन मदनगोपाल यही हैं । -सर्वेक्षण ६७६ ५९७. गंगा परसाद-सामान्यतया गंग कवि के नाम से प्रसिद्ध, सपौली जिला सीतापुर के ब्राह्मण । जन्म १८३३ ई०। अपनी कविताओं के कारण इन्हें गाँव सपौली माफी में मिला था। इनके पुत्र भी कवि हैं और अब 'तिहरना' में रहते हैं। गंगा प्रसाद ने दूती विलास नाम ग्रंथ लिखा है, इसमें श्लेषपूर्ण छंदों में विभिन्न प्रकार की दूतियों का कथन है। टि०-१८३३ ई०. (सं० १८९०) रचनाकाल है, जन्मकाल नहीं। इनके पुन तिहरना में नहीं रहते, बल्कि उन्हीं का नाम तीहर है। यह भ्रष्ट अनुवाद सरोज के निम्नांकित वाक्य का है-"हनके पुत्र ‘तीहर नास कवि विद्यमान हैं।" . सर्वेक्षण १४९ ५९८. जै कवि-लखनऊ के भाट और कवि । १८४५ ई० में उपस्थितः ।। इन्हें लखनऊ के नवाब वाजिद अली ( १८४७-१८५६) से पेंशन मिलती थी। इन्होंने अनेक कविताएँ उर्दू और भाषा में लिखीं। यह अपनी . सामयिक तथा नीति और चेतावनी सम्बन्धी कविताओं के लिए प्रसिद्ध है। मुसलमानों से इनके अनेक धार्मिक विवाद हुए थे। ५९९. मान सिङ्घ-अवध के महारान शाकद्वीपी, उपनाम द्विजदेव; १८५० ई० में उपस्थित।