पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२८१

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(२६२) अध्याय १०, भाग ३ का परिशिष्ट ६०७. चिरंजीव-बैसवाड़ा के ब्राह्मण । जन्म १८१३ ई०। . १ रागकल्पद्रुम । कहा जाता है कि इन्होंने महाभारत का भाषानुवाद किया है। ६०८. बेनी परवीन-~-वाजपेयी, लखनऊ के । जन्म १८१९ ई० । सुन्दरी तिलक । अनेक ग्रंथों के रचयिता। इनका सर्वप्रसिद्ध ग्रंथ नाविका भेद पर है। टिबेनी प्रवीण के नायिका भेद के ग्रंथ 'नवरस तरङ्ग' का रचनाकाक सं० १८७४ है। अतः १८१९ ई० (सं० १८७६ ) इनका उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल । -सर्वेक्षण ५०९ ६०९. अंगन लाल-वंदीजन, उपनाम रसाल कवि, बिलग्राम जिला हरदोई के, जन्म १८२३ ई०। बरवै अलंकार नामक अलंकार ग्रंथ के रचयिता। . टि०-ॐगने लाल ने सं० १८८६ में चारहमासा की रचना की थी। अतः १८२३ ई० (सं० १८८०) इनका जन्मकाल न होकर रचनाकाल है। -सर्वेक्षण ७४६ ६१०. मकरंद राय-पुवायौँ जिला शाहजहाँपुर के भाट । जन्म १८२३ ई० । चंदन राय (सं० ३७४ ) के बंशज । हास्यरस नामक एक अच्छे ग्रंथ के रचयिता । टि-मकरंद राय चन्दन राय के वंशज नहीं थे, उन्हीं के वंश के थे और उनके समसामयिक थे। इन्होंने हंसाभरण नामक ग्रंथ सं० १८२१ में। रचा था। वही 'हास रस' नामक अन्य भी है। स्पष्ट है १८२३ ई० (सं० १८८०) अशुद्ध है। यह न जन्मकाल है और न उपस्थितिकाल हो । कवि इस समय तक शायद ही जीवित रहा हो। -सर्वेक्षण ६४४ ६११. भौन कवि-बैंती जिला रायबरेली के भाट और कवि । जन्म १८२४ ई. 'प्रसिद्ध शृङ्गारी कवि। यह शृङ्गार रत्नाकर नामक अलंकार ग्रंथ के रचथिता थे.! इनके पुत्र दयाल (सं० ७२०) १८८३ में जीवित थे। . टि-शृङ्गार रत्नाकर भलंकार का अन्य नहीं है, रस का है। इसका नाम " रस रत्नाकर भी है। इसकी प्राचीनतम प्राप्त प्रति सं० १८९१ की लिखी है, . अतः १०२.४ ई० (सं० १८८१) इनका जन्मकाल नहीं हो सकता, रचनाकाल हो सकता है।. ... ....सवक्षण... . . . १०.