पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२८३

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(२६४ ) टि-इन्होंने सं० १८५१ में 'शक्ति चिंतामणि' नाम ग्रंथ रचा था। . :. यह नायिका भेद और रस का ग्रंथ है। १८४४ ई (सं० १९०१) तक . इनका जीवित रहना संभव नहीं। यह सन अशुद्ध है। -सर्वेक्षण ६११ . ६१९. महानंद बाजपेयी-बैसवाड़ा के । जन्म १८४४ ई० । राग कल्पद्रुम । यह शिवजी के भक्त थे। इन्होंने वृहच्छिव पुराण का ... भाषानुवाद किया है। टि०-१८४४ ई० (सं० १९०१) श्चना काल है, जन्मकाल नहीं। सरोजकार के हाथ इनका वृहच्छिच पुगण सं० १९२६ में लगा था। इनकी .. मृत्यु इसके १० वर्ष पहले सं० १९१६ में ही हो गई थी। -सर्वेक्षण ६९९ ६२०, रसरंग कवि-लखनऊ के । जन्म १८४४ ई० । शृंगारी कवि। ६२१. संभुनाथ मिसर कवि---वैसवाड़ा के ! जन्म १८४४ ई० । यह खजूर गाँव के राजा जदुनोथ सिंह बैस के यहाँ थे। जब यह अभी लड़के ही थे, तभी इन्होंने बैस बंशावली लिखी थी और शिवपुराण के चतुर्थ खंड का भाषानुवाद किया था । ' टि०-१८४४ ई. (सं० १९०१) में इन्होंने शिवपुराण चतुर्थ खंड का अनुवाद किया था । अतः यही सन इनका जन्मकाल भी नहीं हो सकता। यह उपस्थिति काल है। --सर्वेक्षण ८४१ ६२२. अजोध्या परसाद सुकल-गोला गोकरननाथ, जिला खीरी के । जन्म १८४५ ई० कोई बहुत बड़े कवि नहीं; लेकिन बहुत लिखने वाले थे। यह जोधी नाम से लिखते थे । वह एक राजा बूड़ के दरबार में बहुत पसंद किए जाते थे। टि-राजा का नाम बूद नहीं है। राजा वूड नामक भू-खंड का राजा था। ६२३. मिहीलाल-डलमऊ, जिला रायबरेली के भाट, उपनाम मलिंद । जन्म .. १८४५ ई०। देखिए सं० ५१२ । इन्होंने किसी भूगल सिंह की प्रशंसा की है। ... .६२४. रामनाथ परधान-औध के । जन्म १८४५ ई० । ... . . राम कलेवा और अन्य ग्रंथों के रचयिता।