पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२८५

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( २६६ ) में लिखा गया। भूमिका में यह लिखते हैं कि यह भागवत पुराण के दशम स्कन्ध का ब्रजभाषा से हिन्दी में अनुवाद है। ब्रज वाला संस्करण चतुरभुज मिसर (१ सं० ४०) का था। प्रेमसागर, लार्ड मिंटो की सरकार में अब्राहम लाकिट के निर्देशन में, १८०९ ई. तक नहीं छपा था। इसके बाद तो यह बहुत छपा है। सबसे अच्छा संस्करण ईस्टविक का (हर्टफोर्ड १८५१ ई०) है; इसके अन्त में एक अच्छी शब्द सूची भी है। (२) लतायफ़-ए-हिंदी-१०० कहानियों का उर्दू, हिंदी और ब्रजभाषा में संकलन । गासी द तासी के अनुमार (भाग १, पृष्ठ ३०६ ) यह कलकत्ता : में 'द न्यू साइक्लोपीडिया हिन्दुस्तानिका, एटसेटरा' नाम से छपा था, और कारमाइकेल स्मिथ ने इसके एक बड़े अंश का पुनर्मुद्रण लंदन में इसके असल नाम से किया था। (३) राजनीति या वार्तिक राजनीति-हितोपदेश का ब्रजभाषा में अनुवाद। यह ग्रंथ संवत् १८६९ (१८१२ ई०) में लिखा गया और चाणक्य राजनीति के अनुवादों से इसे भिन्न समझना चाहिए। ( देखिए सं० ५७४, ८४०, ९१९)। . (४) सभा विलास ( राग कल्पद्रुम)-व्रजभाषा के प्रसिद्ध कवियों की वुनी कविताओं का संकलन । (५) माधव विलास ( १ राग कल्पद्रुम )--देखिए सं० ८९६ ॥ (६) लाल चन्द्रिका-बिहारी लाल की सतसई की अच्छी टीका, जो प्रायः प्रकाशित होती रहती है। फिर भी देखिए, सं० ५६१। . (७) मसादिर-ए-भाषा---गद्य एवं. नागरी लिपि में लिखित हिंदी भाषा.. का व्याकरण | गासी द तासी कहता है कि इसकी एक प्रति एशियाटिक । सोसाइटी आफ बंगाल के पुस्तकालय में है। (८) सिंहासन बत्तीसी (राग कल्पद्रुम)-सुंदरदास (सं० १४२) कृत इसके व्रजभाषा पद्यानुवाद के सहारे १८०४ ई० में मिरज़ा काजिम अली ओर इनके द्वारा अनूदित। .. (९) बैताल पचीसी (राग कल्पद्रुम)-गासी द तासी इस ग्रंथ के संबंध में नीचे लिखा विवरण देता है, जिसकी जाँच मैं नहीं कर सका हूँ, क्योंकि बाजारों में अब इसकी जो प्रतियाँ उपलब्ध हैं, उनमें भूमिका नहीं छपत्ती । यह ग्रन्थ भी सूरति मिश्र (सं० ३२६) द्वारा संस्कृत से ब्रजभाषा में अनूदित था। लल्लू ने इसी अनुवाद को पुनः मजहर अली खो विला की सहायता से हिंदुस्तानी में अनूदित किया । अथवा लल्लू ने ही विला की . :