पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२८७

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(२६८) जाते हैं । ( देखिए रिपोर्ट आफ़ आर्केआलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया, भाग . ९, पृष्ठ ३७) (११) शकुन्तला का उपाख्यान- इसका सम्पादन लल्लू जी और काज़िम .. अली जबाँ ने संयुक्त रूप में किया । ( देखिए, गार्सी द तासी ।) ... . प्रेम सागर के सम्बन्ध में भागवत पुराण के हिन्दी अनुवादों पर निम्नांकित टिप्पणी कुछ काम की हो सकती है। कहा जाता है कि सूरदास (सं० ३७) ने संपूर्ण भागवत का पूर्ण अनुवाद किया था, पर उनका अनुवाद हम तक नहीं पहुँच पाया है। वार्ड के अनुसार (व्यूज़ एटसेटरा, भाग १, पृष्ठ ४८१) . प्रियादास ने ( देखिए सं० ३१९) बुन्देलखण्डी बोली में एक भागवत की रचना की थी । ( देखिए, गारी द तासी, भाग १, पृष्ठ ४०५)। यह अन्तिम ग्रंथकार [ तासी] ( भाग १, पृष्ठ १२१) एक भूपति (सं० ३३२) कायस्थ का उल्लेख करता है जो "श्री भागवत नामक हिन्दी छन्दों में रचित ग्रंथ का रचयिता था। इसकी एक प्रति एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के पुस्तकालय में है और वार्ड ने इससे उद्धरण लिया है। मैं नहीं जानता कि यह . . वही प्रति है अथवा नहीं, जो ब्रिटश म्यूजियम के हालहेड विभाग में २५२० संख्या पर है। यह अन्तिम नौ-नौ पंक्तियों के छन्दों में रचित फ़ारसी लिपि में लिखित है। बोली समझ में नहीं आती । इण्डिया आफ़िस लाइब्रेरी में भी 'पोथी भागवत' नामक एक छन्दोबद्ध हिन्दी ग्रंथ है, लेकिन ग्रंथ-सूची के अनुसार यह भागवत पुराण के केवल एक अंश का अनुवाद है।" बाँधो के महाराज रघुराज सिंह (सं० ५३२ ) भागवत पुराण के आनन्दांबुनिधि नामक अनुवाद के अत्यन्त प्रसिद्ध कर्ता हैं । कृपाराम ( सं० ७९७ ) का भी नाम अत्यन्त सरल भाषा और दोहा चौपाई में संपूर्ण भागवत का अनुवाद करने के लिए लिया . जा सकता है। इस पुराण का दशम स्कन्ध कृष्ण जीवन से सम्बन्धित है और बहुत ही प्रिय है, अतः इसके मनुवाद प्रायः होते रहते हैं। प्रेमसागर इसका सबसे अच्छा रूपान्तर है। चतुरभुज मिसर ( सं० ४०) और नन्ददास (सं० ४२) . क अनुवादों का भी यहाँ उल्लेख किया जा सकता है। नन्ददास का अनुवाद . 'दसम स्कन्ध' नाम से प्रख्यात है। कवि मान (सं० ३७२ ) का 'कृष्ण कल्लोल' भी इसी कोटि का ग्रंथ प्रतीत होता है। एक अन्य अनुवाद लोने सिंह (सं० ६१४) का है । गासों दतासी (भाग १, पृष्ठ १२१) कहता है-"पोथी दसम स्कन्ध नाम से एक ग्रंथ फरजाद कुली नामक व्यक्ति के पुस्तकालय की ग्रंथ सूची में दर्ज है, जिसकी एक प्रति फोर्ट विलियम कालेज लाइब्रेरी में है।