पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२९०

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टिo-जब वाक् मनोहर पिंगल का रचनाकाल १८०३ ई० (सं० . १८६०) है, तब १८३४ ई० (सं० १८९१) इनका जन्मकाल कैसे हो सकता है। यह कवि का रचनाकाल है। -सर्वेक्षण १०१ ६३८. क्रिशनानंद व्यासदेव-१८४२ ई० में उपस्थित । यह अपने राग सागरोद्भव राग कल्पद्रुम ( इस ग्रंथ में Rag से संकेतित) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, यह लगभग २०० कृष्ण भक्त कवियों की रचनाओं के चयन का संग्रह है। यह सं० १९०० ( १८४३ ई०) में पूर्ण हुआ और राजा सर राधाकांतदेव के सुप्रसिद्ध संस्कृत कोश 'शब्द कल्पद्रुम' के स्पर्धा रूप में बना था। कुछ दिनों पहले यह ग्रंथ, जो कि कलकत्ता में छपा था, १००) प्रति पुस्तक बिकता था, पर अब अप्राप्य है। ____डाक्टर राजेंद्र लाल मित्र अपनी बाल्यावस्था में इनसे व्यक्तिगत रूप से. परिचित हुए थे। वे इस ग्रन्थकार के सम्बन्ध में मुझे निम्नलिखित सूचना देते हैं : "ग्रंथ तीन भागों में था। मुझे स्मरण है कि लेखक ने मुझसे कहा था कि मैं ग्रंथ को सात भागों में पूर्ण करूँगा, जैसा कि राजा राधा कांत देव का शब्द कल्पद्रुम सात भागों में है। परंतु मैं नहीं समझता कि उनके पास एतदर्थ पर्याप्त सामग्री थी। वह अपने साथ हस्तलेखों का विशाल गट्ठर लिए हुए चला करते थे, लेकिन उनकी परीक्षा का मुझे कभी अवकाश नहीं मिला । मैं उस समय उनका महत्त्व जानने के लिए बहुत बच्चा था। ग्रंथकार ब्राह्मण था और उसका बहुत बड़ा दावा था कि वह तीन आक्टेवों से गा सकता था, जब कि . सामान्यतया मानव स्वर की परिधि केवल ढाई 'आक्टेव' की है। उसका दावा यह भी था कि वह सभी राग रागिनियों को शुद्ध रूप में, बिना एक दूसरे को मिलाए हुए, गा सकता था। लेकिन मैंने कभी भी संगीत का ज्ञान नहीं प्राप्त किया; लड़कपन में इस संबंध में कभी चिंता ही नहीं की; अतः इस व्यक्ति के दावों का कोई प्रमाण मैं नही पा सका। वह सदैव गाया करते थे, पर वे पेशेवर गायक नहीं थे अर्थात वह पारिश्रमिक पर कहीं नहीं गाते थे । वह नगर के . - - - - - - १. प्रथम अध्याय पर तिथि १६ मार्च १८४२ और द्वितीय पर १८४३ दी हुई है। २. Octave---Note produced by twice or half the vibration rate of given note and eight diatonic degrees abive or below it. --The Concise Oxford Dictionary ...... -संपादक