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६५५. अंबुज कवि—जन्म १८१८ ई०।

इनकी नीति संबंधी रचनाएँ और नखशिख सरस कहे जाते हैं।

टि०—अंबुज महाकवि पद्माकर (सं० १८१०-९० वि०) के पुत्र थे। १८१८ ई० (सं० १८७५) इनका रचनाकाल ही है, जन्मकाल नहीं।

——सर्वेक्षण १२


६५६. कविराय कवि—जन्म १८१८ ई०।

इन्होंने नीति संबंधी कुछ अच्छे छंद रचे हैं।

टि०—यह जाजमऊ वाले संतन कवि (सर्वेक्षण ८७१) हैं। इनका उपस्थिति काल सं० १७६० है।
६५७. गुलाल कवि—जन्म १८१८ ई०।

शृंगार संग्रह। इनका प्रमुख ग्रंथ शालिहोत्र (राग कल्पद्रुम) है। यह अश्व विज्ञान संबंधी रचना है।
६५८. दीनानाथ अध्वर्य—माहोर जिला फतहपुर के। जन्म १८१९ ई०।

इन्होंने ब्रह्मोत्तर खंड का भाषा तिलक किया है । टि०—अध्वर्य नहीं, अध्वर्यु।

——सर्वेक्षण ३७७


६५९. बेनी परगट—नरवल के ब्राह्मण। जन्म १८२३ ई०।

टि०—१८२३ ई० (सं० १८८०) उपस्थिति काल है।

——सर्वेक्षण ५१०

६६०. अज्ञात—उनियारा के राजा। १८२३ ई० में उपस्थित।

शिव सिंह के अनुसार यह भाषा भूषण (सं० ३७७) और बलिभद्र (सं० १३५) के नखशिख के बहुत अच्छे तिलक रचनेवाले थे। सरोजकार की प्रति से नाम खो गया है। उनियारा जैपुर का एक भाग है।

टिक०—उनियारा के राजा महा सिंह के यहाँ मनिराम नाम कवि थे, जिन्होंने सं० १८४२ में बलभद्र के नखशिख की टीका की थी। स्वयं राजा टीकाकार नहीं थे।

——सर्वेक्षण ६२


६६१. कविराज कवि—कविराज भाँट और कवि। जन्म १८२४ ई०।

सुन्दरी तिलक। साधारण कवि। कम्पिला के सुखदेव मिसर (सं० १६०) भी कभी-कभी कविराज छाप रखते थे। उनसे इस कवि को गड़बड़ न करना चाहिए।