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टि०—सुन्दरी तिलक में सुखदेव मिश्र उपनाम कविराज की ही रचनाएँ हैं।
६६२. सोग जी कवि—राजपूताना के। १८२९ ई० में उपस्थित।

खींची वंश के चौहान राजाओं के एक इतिहास और वंशावली के रचयिता। देखिए टाड का राजस्थान, भाग १, पृष्ठ ८१ और भाग २, पृष्ठ ४५४; कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ ८७ और भाग २ पृष्ठ ४९९।

टि०—कवि का नाम भोग जी नहीं है, भूक जी है।
६६३. गुरदत्त कवि—प्राचीन। जन्म १८३० ई०।

यह जयसिंह के पुत्र शिव सिंह के दरबार में थे। मैं नहीं जानता कि ये राजा लोग कौन-कौन हैं।

टि०—सरोज में उद्धृत छन्द के अनुसार गरुदत्त शिव सिंह के आश्रित थे, जो कि राव सिंह जी के नन्द या पुत्र थे।

यह गुरुदत्त मकरन्दपुर वाले गुरुदत्त शुक्ल से अभिन्न प्रतीत होते हैं।

——सर्वेक्षण १८३


६६४. हठी कवि—ब्रजवासी। जन्म १८३० ई०।

राधा शतक नामक ग्रंथ के रचयिता।
पुनश्र्च:—

शिव सिंह द्वारा दी गई इनकी जन्म तिथि (१८३० ई०) निश्चय ही अशुद्ध है, क्योंकि राधा शतक की तिथि सं० १८४७ (१७९० ई०) दी गई है।
६६५. टेर कवि—जिला मैनपुरी के। जन्म १८३१ ई०।
६६६. किसन कवि—जन्म १८३१ ई०।

इन्होंने नीति सम्बन्धी कुछ फुटकर छन्द रचे हैं।
६६७. आछेलाल भाट—कन्नौज के। जन्म १८३२ ई०।
६६८. दयानाथ दूबे—१८३२ ई० में उपस्थित।

इस वर्ष इन्होंने नायिका भेद का एक ग्रंथ 'आनन्द रस' (रागकल्पद्रुम) नाम का लिखना प्रारम्भ किया था।
६६९. रामदीन—अलीगंज, जिला एटा के बन्दीजन। जन्म १८३३ ई०।
६७०. माखन लखेरा—जन्म १८३४ ई०।

कोई विवरण नहीं। संभवतः वही 'माखन कवि' जिनका उल्लेख शिव सिंह ने किया है, और जिनको १८१३ ई. में उत्पन्न कहा है।

टि०—कवि का नाम माखन है; लखेरा स्थान सूचक है, कवि नाम का अंग नहीं है। दोनों माखन भिन्न हैं।

——सर्वेक्षण ६३८