पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३०९

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(२९०) सुपरिटेंडेंट, हुए, यह शिमला एजेंसी के मीर मुंशी के रूप में पदोन्नत हो गए। ये अपने जीवन के इस भाग को सर्वोत्तम मानते हैं । जब श्री एडवर्ड्स १८५१ या १८५२ में छुट्टी पर घर गए, राजा शिवप्रसाद ने त्याग-पत्र दे दिया; और .. .. अपनी माता की वृद्धावस्था के कारण बनारस ही में स्वतन्त्र जीवन विताने का विचार किया, लेकिन गवर्नर जनरल के बनारस स्थित तत्कालीन एजेण्ट श्री . टकर ने इन्हें उक्त एजेंसी का मीर मुंशी होने के लिए राजी कर लिया और बाद में जन-शिक्षा विभाग में कार्य करने के लिए इन्हें तत्पर किया तथा संयुक्त इंस्पेक्टर का पद प्राप्त करा दिया। सर डबल्यू० म्यूर ने इन्हें पूर्ण इंस्पेक्टर बना दिया । तीस वर्षे तक सरकार की सेवा करने के अनन्तर ये एक खासी अच्छी पेंशन पाकर कार्य-मुक्त हुए और अब बनारस में रह रहे हैं । ये सरकार से अनेक प्रकार सम्मानित किए गए हैं, जिनमें से वंश परम्परा के लिए राजा की उपाधि और "कंपेनियनशिप आफ द मोस्ट एक्जाल्टेड स्टार . आफ़ इंडिया' [सितारे हिंद ] के खिताब का उल्लेख किया जा सकता है । इनके द्वारा इस ग्रंथकार को लिखे गए एक पत्र का निम्नलिखित अंश इस विवरण का उपसंहार भली भौंति कर सकेगा--"मैंने अभी अभी अपने एक .. मित्र को इंगलैंड लिखा है कि यदि आपको कभी किसी ऐसे आदमी के नाम की जरूरत पड़े, जो अपने को कम से कम संतोषी, कृतज्ञ और सुखी तो कहता हो, तो आप शिव प्रसाद का नाम ले सकते हैं । मेरे एक पुत्र और तीन पौत्र हैं ।......। इस समय मेरा पेशा देश और दिमाग को तहजीबयाफ़्ता बनाना है।" राजा शिव प्रसाद के भाषा ग्रन्थों की सूची निम्नलिखित है . .१. at संख्या ग्रंथ । विषय विवरण वर्णमाला ... प्रारंभिक पाठ्य पुस्तक कहानियों और चित्रों सहित। .. २. । बालबोध सरल पाठ्य पुस्तक श्री डबल्यू एडवर्डस द्वारा | पहले अँगरेजी में लिखित | विद्यांकुर चैंबर के 'इडिमेंट आफ सचित्र । पहले श्री एडवर्ड नालेज' और 'इंट्रोडक्शन | द्वारा पहाड़ी स्कूलों के लिए टू साइंस' के कुछ पन्नों लिखित । इसका उर्दू रूपांका हिंदी में ग्रहण । तर 'हकायकुल'. मौजूदात ..। कहा जाता है। . . ३