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७२१. विश्वनाथ—टिकई जिला रायबरेली के भाट। १८८३ ई० में जीवित

इन्होंने किसी रणजीत सिंह (? संख्या ७१६) की प्रशंसा की है। यह सभवतः वही 'विस्वनाथ कवि' हैं, जिनका उल्लेख शिव सिंह ने किया है और जो शिव सिंह के अनुसार १८४४ ई० में उत्पन्न हुए थे और जिन्होंने लखनऊ के लोगों के चालचलन, रीति नीति पर कई छंद लिखे हैं।

टि०—इन विश्वनाथ ने जाँगरे वाले रणजीत सिंह की प्रशंसा नहीं की है। इन्होंने सरोजकार शिवसिंह के पिता रणजीत सिंह की प्रशंसा की है।

—सर्वेक्षण ५४७

लखनऊ के लोगों के चाल चलन पर कवित्त लिखने वाले विश्वनाथ इनसे भिन्न हैं और संभवतः बिसवाँ जिला सीतापुर के रहने वाले थे।

—सर्वेक्षण ५४६


७२२. ब्रिंदावन—सेमरौता जिला रायबरेली के ब्राह्मण। १८८३ ई० में जीवित।

१ राग कल्पद्रुप। कोई विवरण नहीं। यह सम्भवतः वही है, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने 'बृन्दावन कवि' नाम से किया है।

टि०—वृंदावन परवर्ती कवि हैं। इनकी रचना का रागकल्पद्रुम (संवत १९००) में संकलित होना संभव नहीं। सरोज के 'वृंदावन कवि' (सर्वेक्षण ५६२) का अस्तित्व नहीं सिद्ध होता, अतः इनसे तादात्म्य की बात ही नहीं उठती।
७२३. लछिराम कवि—होलपुर जिला बाराबंकी के भाट और कवि। १८८३ ई० में जीवित।

इन्होंने शिव सिंह (सरोज के रचयिता) के नाम पर नायिका भेद का एक ग्रन्थ रचा और उसका नाम शिव सिंह सरोज रखा। देखिए सं० १२६।
७२४. संत बकस—होलपुर जिला बाराबंकी के भाट। १८८३ ई० में जीवित।

मिलाइए संख्या १२६।
७२५. समरसिंह—हड़हा जिला बाराबंकी के क्षत्रिय। १८८३ ई० में जीवित एक रामायण के रचयिता।
७२६. सिव परसन्न कवि—रामनगर जिला बाराबंकी के साकद्वीपी ब्राह्मण।

१८८३ ई० में जीवित।
७२७. सीतारामदास—बीरापुर जिला बाराबंकी के बनिया। १८८३ ई० में जीवित।