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७३६. सिवदीन—पण्डित शिवदीन उपनाम रघुनाथ, रसूलाबाद के ब्राह्मण। १८८३ ई० में जीवित।

भव महिम्न और अन्य ग्रंथों के रचयिता। संभवतः यह वही हैं, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने बिना कोई विवरण दिए हुए 'शिवदीन कवि' नाम से किया है। रसूलाबाद नाम के कई कस्बे भारत भर में हैं, मैं नहीं जानता प्रसंग-प्राप्त रसूलाबाद कौन है।

टि०—यह शिवदीन (सर्वेक्षण ७६९) दूसरे शिवदीन कवि (सर्वेक्षण ८५२) ले अभिन्न हो सकते हैं।
७३७. रामनारायन—कायस्थ। १८८३ ई० में जीवित।

श्रृंगारी कवि। यह महाराज मानसिंह (संख्या ५९९) के मुंशी हैं।
७३८. अंबिका परसाद—१८८३ ई० में जीवित।

यह शाहाबाद जिले के हैं। भोजपुरी बोली में बहुत से गीत इन्होंने लिखे हैं, जो बहुत प्रतिभापूर्ण तो नहीं है, पर कवि की मातृभाषा के उदाहरण के रूप में इनका मूल्य है। 'सेविन ग्रामर्स आफ़ द बिहारी डायलेक्ट्स' भाग २ में इनके कई गीत दिए गए हैं।
७३९. काली परसाद तिवारी—बनारसी। १८८८ ई० में जीवित।

यह महाशय झौगंज सिटी स्कूल पटना में हेड पंडित हैं। यह कई स्कूली ग्रंथों और भाषा रामायण के रचयिता हैं। रामायण गद्य-पद्य मिश्रित हिंदी और सरल शैली में है तथा अत्यंत प्रशंसित है। यह पंडित छोटूराम तिवारी (सं० ७०५) के भतीजे हैं।
७४०. बिहारीलाल चौबे—पटना कालेज में संस्कृत के सहायक प्रोफेसर। १८८८ में जीवित।

यह महाशय अनेक उपयोगी पाठ्यग्रंथों के रचयिता होने के अतिरिक्त 'बिहारी तुलसी भूषण बोध' नामक एक लाभदायक अलंकार ग्रंथ के भी कर्ता हैं। यह बिब्लिओथेका इंडिका के लिए तुलसीदास (सं० १२८) की सतसई का एक अच्छा संस्करण संपादित कर रहे हैं।


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