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काव्य निर्णय में दास ने इनका भी नाम लिया है, इसमें संदेह नहीं। यह नाम रसळीन के ठीक बाद आया है।
७५६. रहीम कवि—यह अब्दुर्रहीम खानखाना (सं० १०८) से भिन्न कवि हैं। इनके प्रसिद्ध नाम-राशि कवि और इनकी रचनाओं को अलग करना कठिन है।

टि०—रहीम, अब्दुर्रहीम खानखाना से भिन्न नहीं हैं। सरोजकार के भ्रम ने इस कवि की सृष्टि की है। उसने दास का मंतव्य ठीक से नहीं समझा है।

—सर्वेक्षण ७९८

४. कवि सूदन (सं० ३६७) द्वारा उल्लिखित, अतः १७५३ ई० के पूर्व उपस्थित कवि :—
७५७. सनेही कवि
७५८. सिवदास कवि—गार्सो द तासी ने (भाग १, पृ० ४७४) इस नाम के एक कवि का उल्लेख किया है, जो जयपुर का निवासी था, जिसका एक ग्रंथ शिव चौपाई है, जिसका उद्धरण वार्ड ने अपने 'हिस्ट्री ऑफ़ द हिंदूज' (भाग २, पृ० ४८१) में दिया हैं। यह एक और भी ग्रंथ के रचयिता हैं, जिसका नाम गार्सो द तासी ने 'पोथो लोक उक्ति रस जुक्ति' दिया है, जिसको वह कहते हैं कि मैं नहीं समझता।

टि०—'लोक उक्ति रस जुक्ति' का दूसरा नाम 'लोकोक्ति रस कौमुदी' है। यह लोकोक्तियों में नायिका भेद है। इसकी रचना सं० १८०९ में हुई थी।

—सर्वेक्षण ८४८


७५९. सुमेर सिंह साहेबजादे—सुंदरी तिलक में भी।

टि०—सूदन ने 'सुमेर' कवि का उल्लेख किया है (सर्वेक्षण ९०७), न कि सुमेर सिंह साहेबजादे का। सुमेर सिंह साहेब जादे (सर्वेक्षण ९०८) भारतेन्दु युगीन कवि हैं। इनकी रचना सुंदरी तिलक में है। यह निजामाबाद जिला आजसगढ़ के रहने वाले थे और हरिऔध जो को काव्य और साहित्य की प्रेरणा देने वाले थे।
७६०. सूरज कवि
७६१. हरि कवि—भाषा-भूषण (सं० ३७७) की चमत्कार चन्द्रिका नामक टीका और कवि प्रिया (सं० १३४) की 'कविप्रियाभरण' नामक

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