पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(३१२)

टि०—इन्होंने उषा चरित्र की रचना सं० १८३१ में और 'पत्तल' की सं० १८३३ में की।

—सर्वेक्षण १२८


८०४. केसव राम कवि।

भ्रमरगीत नामक ग्रंथ के रचयिता, जो गार्सो द तासी के अनुसार कृष्णदास (सं० ८०६) के द्वारा लिखा गया।

टि०—कवि का नाम केशवराम (सर्वेक्षण ६६) है। भ्रमरगीत अनेक लोगों ने रचे हैं।
८०५. क्रिपाल कवि—श्रृंगारी कवि।
८०६. क्रिशनदास—भक्तमाल के एक टीकाकार। (देखिए संख्या ५१), देखिए गार्सो द तासी भाग १, पृष्ठ ३०२। गार्सो द तासी ने इनको एक भ्रमरगीत (देखिए सं० ८०४) नामक अन्य ग्रंथ और 'प्रेम सत्व निरूप' नामक एक अन्य धार्मिक ग्रंथ का भी रचयिता माना है।

टि०—भक्तमाल के टीकाकार कृष्णदास सरोज में नहीं हैं। ये 'भ्रमरगीत' और 'प्रेम सत्व निरूप' के रचयिता से भिन्न हैं अथवा अभिन्न, नहीं कहा जा सकता।
८०७. खान सुलतान कवि

टि०—इस कवि का अस्तित्व संदिग्ध है।

—सर्वेक्षण १४१


८०८. खुसाल पाठक—रायबरेली के। इन्होंने एक नायिकाभेद लिखा है।

टि०—सरोज में (सर्वेक्षण १४४) इस कवि का केवल नाम ग्राम है। इन्होंने नायिका भेद का भी कोई ग्रंथ लिखा, ऐसा कोई उल्लेख नहीं हुआ है। ग्रियर्सन ने ऐजन का भ्रांत अर्थ किया है। सरोज में इस कवि के विवरण में 'ऐजन' लिखा गया है, जिसका कोई अर्थ नहीं है।
८०९. खूबचंद कवि—मारवाड़ के।

इन्होंने ईडर के राजा गंभीर साहि की प्रशंसा में एक कविता लिखी है।
८१०. खेतल कवि—इन्होंने एक नायिका भेद लिखा है।

टि०—सरोज (सर्वेक्षण १४३) के निरर्थक ऐजन का भ्रांत अर्थ करके इन्हें नायिका भेद का रचयिता माना गया है। यह जैन थे। इनकी छाप खेतसी, खेता, खेतल है। इसका रचनाकाल सं० १७४८ है।
८११. गंगाधर कवि—इन्होंने बिहारी सतसई की एक टीका (सं० १९६) कुंडलिया और दोहा छंदों में 'उपसतसैया' नाम से लिखी है।