पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(३१३)


८१२.गज सिद्ध—'गज सिंह विलास' के रचयिता। (फिर भी मिलाइए सं० १९० से)।

टि०—विनोद (८३०) के अनुसार गज सिंह का रचनाकाल सं० १८०८-४४ है।
८१३. गीध कवि—इनके कुछ मुक्तक छप्पय और दोहे ही अब बचे हैं।
८१४. गुमानी कवि—पटना के। इन्होंने कुछ कविताएँ लिखी हैं, जो बिहार में हर एक की जबान पर है। प्रथम तीन चरण संस्कृत के हैं और चौथे चरण में हिन्दी की कोई लोकोक्ति है। इण्डियन ऐंटिक्वेरी में कुछ उदाहरण प्रकाशित हुए हैं। एक उदाहरण यह है :—

यावद्रामः शस्त्रधारी
नायातीहत्वत्संहारी
तावत्तस्मै देया नारी
ज्यों भीजे त्यों कंबल भारी

(मन्दोदरी रावण से कहती है)

(संस्कृत) इसके पहले कि शस्त्रधारी राम तुमसे युद्ध करने के लिए यहाँ आवें, उनकी पत्नी उन्हें दे दो (क्योंकि)

(हिन्दी) जैसे-जैसे कमली भींगती है, वैसे-वैसे वजनी होती जाती है।
८१५. गुलामराम कवि—इनकी कविताएँ अच्छी कही जाती हैं।

टि०—संभवतः यह मिरजापुर के प्रसिद्ध रामायणी रामगुलाम द्विवेदी हैं, जो सं० १८७४ मैं विद्यमान थे।

—सर्वेक्षण १९३


८१६, गुलामी कवि—इनकी कविताएँ अच्छी कही जाती हैं।

टि०—यह गुलामी कवि ऊपर वर्णित गुलाम राम कवि से अभिन्न हैं।

—सर्वेक्षण १९३, १९४


८१७. गोसाँईं कवि—राजपूताना के। इनके नीति सम्बन्धी सामयिक दोहे अच्छे है।

टि०—सरोज (सर्वेक्षण १९६) में इन्हें सं० १८८२ में उ० कहा गया है, फिर भी अज्ञातकाल में इस कवि को ला पटका गया है।
८१८. गोपालराय कवि—इन्होंने कुछ छन्द नरेन्द्र लाल साहि और आदिल खाँ की प्रशंसा में लिखे हैं।

टि०—गोपालराय वृन्दावन के थे और गौड़ीय संप्रदाय के वैष्णव थे। यह