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टि०—छंद सार का रचनाकाल सं०१७७६ वि० है।

—सर्वेक्षण २७४


८३१. जै सिङ्घ कवि—श्रृंङ्गारी कवि।
८३२. टहकन कवि—पंजाबी। इन्होंने संस्कृत से भाषा में 'पांडव के यज्ञ' नामक ग्रंथ का अनुवाद किया है।

टि०—टहकन ने 'अश्वमेध भाषा' की रचना सं० १७२६ में की।

—सर्वेक्षण ३१०


८३३. ठाकुरराम कवि—शांत रस के कवि।
८३४. डाक—खेती संबंधी कवि। [देखिए घाघ सं० २१७ और मिलाइए 'बिहार पीजैंट लाइफ़']
८३५. ढाकन कवि
८३६. दयादेव कवि—श्रृंङ्गार संग्रह में भी।

टि०—सूदन की प्रणम्य कवि सूची में इनका नाम है, अतः यह सं० १८१० के आसपास या पूर्व उपस्थित थे।
८३७. दान कवि—श्रृंङ्गारी कवि।
८३८. दिलीप कवि

टि०—दिलीप ने सं० १८५९ में रामायण दीका नाम ग्रंथ लिखा।

—सर्वेक्षण ३७६


८३९. देवनाथ कवि

टि०—सं० १८४० में इन्होंने 'सगुन विलास' की रचना की।

—सर्वेक्षण ३७३


८४०. देवमनि कवि—चाणक्य राजनीति के प्रथम १६ अध्यायों का भाषा में भाष्य किया है (राग कल्पद्रुम, मिलाइए सं० ५७४, ९१९)।

टि०—सं० १८२४ के आसपास या पूर्व उपस्थित।

—सर्वेक्षण ३७४


८४१. देवी कवि—श्रृंगारी कवि। देवी शब्द से प्रारंभ होनेवाले अनेक कवियों में से संभवतः एक।
८४२. देवीदत्त कवि—सामयिक एवं शांत रस की रचना करनेवाले कवि।

टि०—इन्होंने सं० १८१२ में बैताल पचीसी का भाषानुवाद किया।

—सर्वेक्षण ३६६


८४३. देवी सिद्ध कवि—श्रृंङ्गार संग्रह में भी।