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लिया गया है। कविता राय शिवदास के 'लोकोक्ति रस कौमुदी' ग्रन्थ की है।

—सर्वेक्षण ४८२


८५४. परधान केशवराय कवि—इन्होंने पशु चिकित्सा संबंधी 'शालि होत्र' नामक ग्रंथ लिखा है। (रागकल्पद्रुम)। यह संभवतः वही हैं, जिन्हें शिव सिंह ने बिना तिथि अथवा तथ्य दिए हुए 'प्रधान कवि' नाम से उल्लिखित किया है।

टि०—प्रधान केशवराय, प्रधान कवि से भिन्न हैं। प्रधान कवि तो रामनाथ प्रधान के लिए प्रयुक्त हुआ है।

—सर्वेक्षण ४६२


८५५. परमल्ल—यह संकर के पुत्र और श्रीपाल चरित्र नामक जैन ग्रंथ के रचयिता थे। देखिए गार्सो द तासी, प्रथम भाग, पृष्ठ ४०१; मिलाइए वही, प्रथम भाग, पृष्ठ ५२०।
८५६. पुरान कवि
८५७. पुश्कर कवि—रस रत्न नामक ग्रंथ के रचयिता।

टि०—'रस रतन' साहित्य ग्रंथ न होकर, एक उत्पाद्द प्रेम कहानी है। इसकी रचना सं० १६७३ में हुई थी।

—सर्वेक्षण ४८३


८५८. पुरन चन्द जूथ—'राम रहस्य' रामायण बनाई है।

टि०—सरोज (सर्वेक्षण ४८९) में इनका नाम 'पूथ पूरनचन्द' दिया गया है। 'पूथ' को 'यूथ' समझकर 'जूथ' कर दिया गया है।
८५९. प्रेम केश्वर दास—भागवतपुराण के बारहवें स्कंध का भाषानुवाद करने वाले। गार्सो द तासी (प्रथम भाग, पृष्ठ ४०४) के अनुसार इंडिया आफ़िस लाइब्रेरी में इसकी एक प्रति है।
८६०. फेरन कवि

टि०—फेरन रीवाँ नरेश महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव (शासनकाल सं० १८९२-१९११) के दरबारी कवि थे। इनका रचनाकाल सं० १९२० है।

—सर्वेक्षण ४९१


८६१. बकसी कवि—संभवतः वही जिनका रागकल्पद्रुम की भूमिका में बकसू नाम से उल्लेख हुआ है।

टि०—बकसी रीतिकालीन कोई कायस्थ कवि हैं। बकसू तानसेन से भी पहले के कोई संगीतज्ञ कवि है। दोनों भिन्न-भिन्न हैं।

—सर्वेक्षण ५७५