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८७९. व्रिन्द कवि

टि०—नीति के दोहों वाले प्रसिद्ध वृन्द का जीवन काल सं० १७००-८० है।

—सर्वेक्षण ५६६


८८०. भगवानदास निरंजनी—इन्होंने भर्तृहरि शतक का 'भर्तृहरि सत' नाम से भाषानुवाद किया था।

टि०—इन्होंने केवल वैराग्य शतक का अनुवाद किया है। इनका रचना काल सं० १७२८-५६ है।

—सर्वेक्षण ६०३


८८१. भंजन—मैथिल कवि। देखिए, जर्नल आफ़ रायल एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बंगाल, अंक ५३, पृष्ठ ९०,
८८२. भंड्डर—कृषि सम्बन्धी कवि। देखिए घाघ सं० २१७ और मिलाइए 'बिहार पीज़ैंट लाइफ़'। परम्परा से यह ज्योतिषी माने जाते हैं और कहा जाता है कि यह शाहाबाद जिले के रहनेवाले थे। इनके सम्बन्ध में अनेक जन-श्रुतियाँ प्रचलित हैं।
८८३. भोलानाथ—कन्नौज के ब्राह्मण।

इन्होने बैताल पचीसी का छन्दोबद्ध अनुवाद किया (राग सागर)।
८८४. मंगद कवि
८८५. मनसाराम कवि—श्रृंङ्गार संग्रह में भी। नायिका भेद के रचयिता। यह सभवतः वही है, जिन्हें शिव सिंह ने 'मनसा कवि' नाम से उल्लिखित किया है और अनुप्रासों का कुशल प्रयोक्ता कहा है।

टि०—ग्रियर्सन का अनुमान ठीक है।

—सर्वेक्षण ६३९, ६४०

८८६. मनोराय कवि—श्रृंङ्गारी कवि।
८८७. मन्य कवि—श्रृंङ्गारी कवि।
८८८. मनोहरदास निरंजनी—ज्ञान चूर्ण बचनिका नामक वेदांत ग्रंथ

के रचयिता।

टि०—ज्ञानचूर्ण वचनिका का मूल नाम 'ज्ञान वचन चूर्णिका' है। इन्होंने सं० १७१६ में ज्ञानमंजरी की रचना की थी।

—सर्वेक्षण ७११


८८९. महताब कवि—एक प्रशंसित नखसिख के रचयिता।