पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३४२

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( ३२३) ९१९. लालकवि-इन्होंने चाणक्य राजनीति ( राग कल्पद्रुम) का भाषानुवाद किया । मिलाइए, संख्या ५२५, ५७४ और ८४० ।। ९२०. लालचंद कवि-दृष्टिकूटात्मक कवित्तों और कुंडलियों के रचयिता। ९२१. लोकमनि कवि-शिवसिंह का कहना है कि सूदन ने इनका उल्लेख किया है। टि-अत: इनका समय सं० १८१० के पूर्व या आसपास होना चाहिए। -सर्वेक्षण ८२८ .. ९२२. सोने कवि-बुंदेलखण्डी वन्दीजन | शृङ्गारी कवि । - टि-सरोज (सर्वेक्षण ८१०) में इन्हें 'सं. १८७६ में 30' कहा गया है। ९२३. वजहन-शांत रस के वेदांत संबंधी दोहों के रचयिता । ९२४. वहाब--एक प्रख्यात बारहमासा के रचयिता। ९२५. वाहिद कवि-शृङ्गारी कवि । ९२६. सत्रजीत सिद्ध-बुंदेलखंड के अंतर्गत दतिया के बुन्देला राजा । रसराज की टीका के रूप में एक अलंकार ग्रन्थ के रचयिता। (सं० १४६)। टि०---रसराज की टीका शत्रुजीत सिंह के दरबारी कवि बखतेस ने सं० १८२२ में बनाई थी। -सर्वेक्षण ९४५ ९२७, सबल स्याम कवि टि०-इनका जन्म सं० १६८८ में हुआ था । -सर्वेक्षण ८९५ ९२८. संभुनाथ मिसर-मुरादाबाद जिला उन्नाव के। दि०-सरोज ( सर्वेक्षण ९५३) में इन्हें गंज मुरादाबाद वाले कहा गया है। विनोद (१९९७ ) के अनुसार इनका रचना काल सं० १८६७ है। ९२९: संभु परसाद कवि-शृङ्गारी कवि । ९३०. सरस राम-सुन्दर नामक राजा के दरबारी, मैथिल कचि । देखिए जर्नल आफ़ एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बंगाल, अंक ५३, पृष्ठ ८७ । संभवतः यह सुन्दर तिरहुत के राजा सुन्दर ठाकुर थे, जो १६४१ ई० में गद्दी पर बैठे और १६६६ ई० में दिवंगत हुए। .. ९३१. ससिनाथ कवि--शृङ्गारी कवि । टि--यह प्रसिद्धः सोमनाथ चतुर्वेदी हैं। यह सवैयों में शशिनाथ छाप रखते थे । इनका रचना काल सं० १७९४-१८१२ है। -सर्वेक्षण ९१७, ९१६ ।