पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३६

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( २९ ) | ये १९८ सम्वत् ऐसे हैं जिनमें से लगभग १५० को ग्रियर्सन ने अन्य सूत्रों से जॉन्च कर लिखा है। शेष ऐसे, जिनका मूल आधार वस्तुतः सरोज ही है। जोड़ने घटाने में साधारण अशुद्धि हो गई है और ग्रियर्सन में दिया हुआ सन् सरोज के सम्वत् से भिन्न हो गया है ।। इस प्रकार ग्रियर्सन के ७३९ सम्वतों में से ४४० +४२ वि० = ४८२ सीधे सरोज के आधार पर हैं। यह कुल का ६४.४% है । सरोज के संवतों के ग्रियर्सन कितने आभारी हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है। इस सम्बन्ध में स्वयं ग्रियर्सन भूमिका में लिखते हैं:- ( तिथियों की जाँच के ) जब सभी उपाय असफल सिद्ध हुये, अनेक बार सरोज ही मेरा पथ प्रदर्शक रहा है । शिवसिंह बराबर तिथियाँ देते गये हैं। और मैंने सामान्यतया उनको पर्याप्त ठीक पाया है। हाँ, वे प्रसंग प्राप्त कवि की जन्म तिथि ही सर्वत्र देते हैं, जब कि वस्तुतः अनेक बार ये तिथियाँ उक्त कवियों के प्रमुख ग्रन्थों का रचनाकाल हैं । फिर भी सरोज की तिथियों को कम से कम इतना मूल्य तो है ही कि किसी अन्य प्रमाण के अभाव में हम पर्याप्त निश्चिन्त रहें कि प्रसंग प्राप्त कवि उस तिथि को जिसे शिवसिंह ने जन्म काल के रूप में दिया है, जीवित था ।” -ग्रियर्सन, भूमिका, पृष्ठ १४ ग्रियर्सन ने सर्वत्र ई० सन् का प्रयोग किया है । ये सन् प्रायः सरोज के संवतों में से ५७ घटाकर प्राप्त किये गये हैं। ग्रियर्सन ने सरोज के जिन सम्वतों को स्वीकार किया है, उन्हें उन्होंने तिर्यक् अङ्कों में मुद्रित कराया है। विभिन्न अध्यायों के परिशिष्टों में जो अप्रधान कवि परिगणित हुये हैं, वे और उनकी तिथियाँ प्रायः सरोज के ही आधार पर हैं । | सरोज में कुल ६८७ स-तिथि कवि हैं। इनमें से निम्नांकित १३ को ग्रियर्सन में अ-तिथि बना दिया गया है:-- कवि संबत् सरोज-संख्या ग्रियर्सन-संख्या १ जसवंत १७६२ २६६ ७४७ २ लोधे १७७० ८१९ ३ लोकनाथ . १७८० ४ गुलाम नबी, रसलीन १७९८ ७५५ ५ अलीमन १९३३ ७५२ २६ ७८४