पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/४६

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इस अनुवाद की आवश्यकता

अब हिन्दी में अनेक अच्छे इतिहास प्रस्तुत हो गये हैं और ग्रियर्सन को आधार मानकर हिन्दी साहित्य के इतिहास की जानकारी प्राप्त करना न तो वांछनीय है और न श्रेयस्कर ही। इसी को आधार मानकर चलने वाले को अनेक भ्रान्तियाँ हो सकती हैं। सरोज की अधिकांश भ्रान्तियाँ यहाँ भी सुरक्षित हैं, जो यहाँ से खोज रिपोटों में और अन्यत्र पहुँची हैं। यहीं सरोज के सन सम्बतों के ‘उ०’ का भ्रान्त अर्थ सर्वप्रथम हुआ, जो इसीके आधार पर आजतक चलता जा रहा है। इतना सब होते हुए भी शोध के विद्यार्थी के लिये इस ग्रन्थ का महत्व है। हिन्दी साहित्व के पहले इतिहास की रूप रेखा क्या थी, बाद में लिखे गये इतिहासों को इसने कहां तक प्रभावित किया, यह सब जानने के लिए इस ग्रन्थ के हिन्दी अनुवाद की नितान्त आवश्यकता रही है, इसीलिये यह स-टिप्पण अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।


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