पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( ४६ )

करने का श्रम किया है । भाषा कवियों में ग्रंथों का रचना-काल देने की एक अत्यन्त प्रशंसनीय पद्धति रही है, जो अनेक स्थलों पर उपयोगी सिद्ध हुई हैं। उन्होंने आश्रयदाताओं को भी प्रायः उल्लेख किया है और जब कभी इनकी पूर्ण पहचान हो गई है, उन्होंने अत्यन्त उपयोगी सूत्र दिए हैं। जब सभी उपाय असफल सिद्ध हुए, अनेक बार सरोज ही मेरा पथ-प्रदर्शक रहा है। शिवसिंह वरवर तिथियाँ देते गये हैं और मैंने उनका सामान्यतया पर्थात टीक पाया है। हाँ, वे नियमतः प्रसंग-प्राप्त कवि की जन्मतिथि ही सर्वत्र देते हैं, जबकि अनेकवार थे तिथियों उक्त कवियों के प्रमुख ग्रन्थों के वस्तुतः रचनाकाल हैं । फिर भी सरोज की तिथियों का कम से कम इतना मूल्य तो है कि किसी अन्य प्रमाण के अभाव में हम पर्याप्त निश्चित रहे कि प्रसंग-प्राप्त कवि उस तिथि को, जिसको शिवसिंह ने जन्मकाल के रूप में दिया है, जीवित था । वर्तमान ग्रन्थ में जो तिथियाँ केवल शिवसिंह सरोज के आधार पर दी गई हैं, तिरछे अक्षरों में छपी हैं। मैं परिशिष्ट की ओर ध्यान आकृष्ट करूंगा, जिसमें कुछ और तिथियाँ दी गई हैं, जिन्हें मैं ग्रन्थ के मुद्रणाधीन हो जाने पर निश्चित कर सका ।। नीचे उन काव्य संग्रहों तथा अन्य ग्रन्थों की सूची दी जा रही है, जो प्रस्तुत ग्रन्थ के अाधार हैं :- संक्षिप्त रख्या संग्रह नाम। संग्रह कर्ता का नाम । तिथि = - -=- = - = १. भक्तमाल । भक्त० | नाभा जी दास (सं०५१) १५५०६.के लगभग २.! गोसाई चरित्र गो० वेनीमाधवदास सं० १३०) १६००ई.के लगभग कांचे माछा ||माल | तुलसी (सं० १५३) १६५५ई. ४० हजार हज० | कालिदास त्रिवेदी । . ( सं ० ५५९) १७१८३. ५. काव्य निर्णय निर० भिखारीदास (१३४४), १७२५६.के लगभग ६. सत्कविगिरा विलास मत्० | बलदेव (सं० ३५९) १७४६ई. ७. सदन द्वारा प्रशं- सित क्रवि रवीलुद | रदन (ले० ३६७) . १७५०३.के लगभग । ८. विद्वन्मोद तरंगिणी बिंदू ० | सुवासिंह ( स०५९०). १८१७ई. ५ --कभी कभी, जैसे मानहि के सम्बन्ध में ( संख्या ५,६९ ), यह कवि को मृत्यु संवत् उलनः जन्म संवत के रूप में देते हैं । --