पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/६७

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हैं, जिन्होंने महाराज बनारस के एक अत्यन्त सुसज्जित हस्तलिखित ग्रन्थ के एक चित्र का मूल फोटो प्राप्त किया ।

उन्हीं महाशय की कृपा का ऋणी मैं उन अन्य ( १४ ) प्लेटों के लिए भी हैं, जिनमें से दस राजापुर रामायण के दस पृष्ठों के हैं, जिसका विवरण पृष्ठ ४५ पर दिया गया है और जिसके कवि की हस्तलिखित प्रति होने का विश्वास किया जाता है; और तीन बनारस की हस्तलिखित प्रति के तीन पृष्ठों के हैं, जिनका उल्लेख उसी पृष्ठ पर किया गया है; और एक कवि के हस्तलेख में एक पंचनामे का है । प्रथम दो प्लेटों का प्रत्यक्षरीकरण और अँगरेजी अनुवाद इस ग्रन्थ के पृष्ठ ५१ पर दिया गया है और अन्तिम का परिशिष्ट में ।

मुख पृष्ठ का चित्र रामायण के श्री ग्राउस कृत उत्तम अनुवाद के एक संस्करण में निकल चुका है;किन्तु जैसा कि यह ग्रन्थ विभिन्न कोटि के पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है और चित्र स्वयं अपने में हिन्दू कला का श्रेष्ठ उदाहरण है, इसको यहाँ पुनः प्रकाशित करने में मुझे कोई झिझक नहीं है ।