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जा रही है। गार्सा द तासी भी देखिए ( हिस्त्वायर इत्यादि भाग १, पृष्ठ २७४ )।

१. सुखनिधान।

२. गोरखनाथ की गोष्ठी।

३. कबीर पंजी।

४. बलख की रमैनी।

५. रामानन्द की गोष्ठी।

६. आनन्द राय सागर।

७. शब्दावली--१००० शब्दों या, लधु सैद्धांतिक रचनाओं का संग्रह।

८. मंगल--१०० लघुकविताएँ, जिनमें ऊपर लिखी हुई कबीर की प्राप्ति- कथा है।

९. बसंत--रागों में १०० पद।

१०. होली-होली नामक २०० गीत।

११. रेखता--१०० रचनाएँ ( odes )

१२. झूलना--विभिन्न शैलियों में ५०० रचनाएँ ( odes )

१३. खसरा--विभिन्न शैलियों में ५०० रचनाएँ ( odes )

१४. हिंडोल--विभिन्न शैलियों में १२ रचनाएँ ( odes )

इन सब रचनाओं ( odes या hymns) का विषय सदैव नैतिक अथवा धार्मिक है।

१५. बारहमासा--धार्मिक, विशेषकर कबीर-पंथ के दृष्टिकोण से १२ महीनों का वर्णन।

१६. चाँचर--२२।

१७. चौंतीसा, दो--नागरी वर्णमाला के ३४ अक्षर, धार्मिक महत्व के साथ।

१८. अलिफ़ नामा--इसी प्रकार पारसी वर्णमाला।

१९. रमैनी--सैद्धांतिक अंथवा विचारात्मक लघु कविताएँ।

२०. साखी—५०००। यह एक एक छन्द की रचनाएँ ( texts ) समझी जा सकती हैं।

२१. बीजक ( राग कल्पद्रुम ) ( बड़े और छोटे )--६५४ खंडों में।

जो लोग इस संप्रदाय के सिद्धांतों का गम्भीर अध्ययन करना चाहते हैं, उनके लिए आगम, बानी आदि पद्यों की विविधता है, जिसमें अध्ययन के लिए प्रचुर सामग्री है।