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भूमिका


देशी अश्वारोहियों के अस्थायी सेनादल के साथ रहता है। जब कभी किसी रईस नवाब को अपने मनोरंजन की आवश्यकता पड़ती है, या जब वह अपने अतिथि को ख़ुश करना चाहता है तो वह उन्हें पैसा देता है। प्रधान मुसलमानी त्यौहारों, ख़ास तौर से इस्लाम धर्म के सबसे बड़े धार्मिक कृत्य बकराईद या ईदुज्ज़ुहा के अवसर पर वे बुलाए जाते हैं। उनके प्रदर्शन इटली के पुराने मूक अभिनयों से बहुत मिलते-जुलते हैं, जिनमें कुछ अभिनेता अपना रूप बताते हैं और हमें समाज की कहावतें देते हैं। विभिन्न व्यक्तियों में कथोपकथन, यद्यपि कभी-कभी भद्दा रहता है, आध्यात्मिक

और चुभता हुआ रहता है। वह श्लेष शब्दों के साथ खिलवाड़, अनुप्रास और दो अर्थ वाली अभिव्यंजनाओं से पूर्ण रहता है––सौन्दर्य शैली जिसका हिन्दुस्तानी में अद्भुत प्राचुर्य हैं और जो उसकी अत्यधिक समृद्धि और विभिन्न उद्यगमों से लिए गए शब्दों-समूह से निर्मित होने के कारण अन्य सभी भाषाओं की अपेक्षा संभवतः अधिक उचित है। जैसा कि मैंने कहा, ये तुरंत बनाए गए अंश प्रायः राजनीतिक संकेतों से पूर्ण रहते हैं। वास्तव में अभिनेता अंग्रेज़ों और उनकी रीति-रस्मों का मज़ाक बनाते हैं, विशेषतः नवयुवक सिविलियनों का जो प्रायः दर्शकों में रहते है।[१] यह सत्य


  1. उदाहरणार्थ, इन रचनाओं में से एक का विषय इस प्रकार है। दृश्य में एक कचहरी दिखाई गई है जिसमें यूरोपियन मजिस्ट्रेट बैठे हुए हैं। अभिनेताओं में से एक, गोल टोप सहित अँगरेजी वेशभूषा में, सीटी बजाते और अपने बूटों में चाबुक मारते हुए सामने आाता है। तब किसी अपराध का दोषी कै़दी लाया जाता है, किन्तु जज क्योंकि वह एक नवयुवती भारतीय महिला, जो गवाह प्रतीत होती है, के साथ व्यस्त रहता है, ध्यान नहीं देता। जब कि गवाहियाँ सुनी जा रही हैं, वह कनखियों से देखे बिना, और इशारे किए बिना, बिना किसी अन्य बात की ओर ध्यान दिए हुए नहीं रहता, और बाद के परिणाम के प्रति उदासीन प्रतीत होता है। अंत में जज का खिदमतगार आता है, जो अपने मालिक के पास जाकर, और हाथ जोड़कर, आदरपूर्वक और विनम्रता के साथ, धीमे स्वर में उससे कइता है : 'साहिब, टिफ़िन तैयार है'। तुरन्त जज जाने के लिए उठ खड़ा होता है। अदालत के कर्मचारी उससे पूछते हैं कि कै़दी