पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/११२

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। " हैं, औौर उनकी भाषा अत्यन्त कृत्रिम होती है । इस विशेष गाने के नावि कार रक जौनपुर के सुल्तान हुसेन शकी बताए जाते हैं ।' ‘गज़ल’ एक प्रकार की गीति-क्रविता (०de) है जो रूप में कसीद के समान है, केवल अंतर है तो यही कि यह बहुत छोटी होती है, बारह पति प्रों से अधिक नहीं होनी चाहिए । पिछली ( पंक्ति ) जिसे 'शाइ बैत, या शाही पद्य, कहते हैं, में, कसीदा को भाँति, लिखने वाले का तखल्लुस आाना चाहिए । कभीकभी गज़ल में विशेष श्लेष शब्दों का प्रयोग किया जाता है । इसी प्रकार पहले पद्य के दो मिसरों का और आगे जाने वाले पत्रों के अंतिम का समान रूप से या समान शब्दों से प्रारंभ और अंत हो सकता है ; यह चीज वही है जिसे “बाज़गश्त' कहते हैं । ‘वीस्तान, "द्य और गद्य में पहेली । ‘जतल यत। मीर जाफ़र जतली, जिन्होंने इन्हें अपना नाम दिया, की कक्तिाओं की तरह रची गई कविताओं को इस प्रकार कहा जाता है, अर्थात् आधी फ़ारसी और आधी हिन्दुस्तानी। ज़िक्री. - बयान , गाना जिसका विषय गंभीर और नैतिक रहता है। गुजरात में इसका जन्म हुआ, और काज़ी महमूद द्वारा हिन्दुस्तान में प्रचलित हुथा । ' तकरीत’ (Tacrit, अतिशयोकिं पूर्ण प्रशंसा से भरी कविता को दिया गया नाम । १ विलर्ड ( Willard ), ‘यूचक शव हिन्दुस्तान’ ( हिन्दुस्तान का संग त), ९० ८८ २ वलो की गाएल जो दिलरगा' शब्दों से प्रारंभ होती है, और जो मेरे संस्करण के पृ० २३ पर , उसका एक उदाहरण प्रस्तुत करता है, साथ ही बह जो सब चमनशब्दों से प्रारंभ होतो है, और जो २३ पर पढ़ी जा सकती है।

  • विलर्ड ( Willard, म्यूजिक व हिन्दुस्तान, पृ० ६३