पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/११३

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स्६ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास ‘किया ’--संस्मरण ’ या जीवनी । जिस प्रकार फ़ारसी में उस प्रकार हिन्दुस्तानी में, इस शीर्षक की अनेक रचनाएँ हैं, और जिनमें कवियों के सम्बन्ध में, उनकी रचनों से उद्धरणों सहिंत, सूचनाएँ रहती हैं । तिज़मीन-‘सन्निवेश करना’ । इस प्रकार का नाम उन पद्यों को दिया जावा है जो किसी दूसरी कविता का विकास प्रस्तुत करते हैं । उनमें परिचित पंकियों के साथ नई पक्तियाँ रहती हैं । अपनी ख़ास गज़लों में से एक पर अदा ने लिखा है, और ताव ने हाफ़िज़ की एक गज़ल पर । ‘तरन’ या ‘तलान।’ । यह शब्द, जिसका अर्थ है ‘स्वर कामिलाना, रुवाई में एक .गीत, विशेषतः दिल्ली में प्रयुक्त, के लिए आता है । इन गीतों के नाने वालों को तरानापरदाज़’ गीत बनाने वाले” कहते हैं। ‘तश्वीव’ । यह शब्द, जिसका अर्थ है ‘युवावस्था और सौन्दर्य का वर्णन, एक श्रृंगारिक कविता का द्योतक है जिसे मुसलमान काव्यशाबीर प्रधान काव्य -रचनों में स्थान देते हैं । वान ---‘इतिहास’ । इस प्रकार का नाम काल-चक्र-संबंधी पक्ष को दिया जाता है, जिसमेंएक मिसरा या एक पंक्ति के, एक या कुछ शब्दों के अक्षरों की संख्यावाचो शक्ति के आधार पर, किसी घटना की तिथि निर्धारित की जाती है । यइ आवश्यक है कि कविता औौर काल-चक्र का उलिखित घटना के संबंध हो। ये कविताएँ प्रायः इमारतों और कब्रों पर खोदे गए लेखों का काम देती हैं, और सामान्यतः उन रचनाओं के अंत में आती हैं जिनको ये तिथि भी बताती हैं । ‘तारीनसे कालक्रमानुसार मृतान्त, इतिहास, सामान्य इतिहास या एक विशेष इतिहास संबंधी सब बड़े श्रन्थ भी समझे जाते हैं । दीवान' । पंक्तियों के अंतिम वर्ष के अनुसार क्रम से रखी गई अजलों के संग्रह को भी कहते हैं, और फलतः एक ही लेखक की । कवितानों का संग्रह । किन्तु इस अंतिम अर्थ में ख़ास तौर से कुलियात' अथवा पूर्ण शब्द का प्रयोग होता है ।