पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/११९

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.२ ६२ 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास हिम्ई पोथी "किराये का अर्थ है एक लंबी-चौड़ी पुस्तक, और जो ’ के समानार्थक है ।' सचाई, अथवा चार चरणों का छन्द, एक विशेष गत में लिखित छोटीसी कविता, जिसमें चार मिसरे होते हैं जिनमें से पहले दो और चौथे। की आपस में तु मिलती है । उसे ‘दो-ती' यानी दो पद्य’ भी कहते हैं , इसी कविता के एक प्रकार को ये वाई क़िता थामेज , यानी किता- मिश्रित रुबाई, कहते हैं। रेड्रता, मिश्रित यह उर्दू कविता को दिया जाने वाला नाम है, और फलत: इस बोली में लिखी जाने वाली हर प्रकार की कविता का, तथा विशेषतगजल का ! जैसा कि मैंने बहुत पीछे कहा है, अपनी कविताओं के एक भाग के लिएकबीर ने भी इस शब्द का प्रयोग अवश्य किया है। ‘लुग्ब’ (Lags)-पहेली ।। चासख्त, यह कविताजिसे सोजभी कहते हैं, गजल के मूलधार की माँति, किन्तु रूप की दृष्टि से भिन्न है, क्योंकि इसमें तीन पंक्तियों के बीस से तीस तक बन्द होते हैं । पंक्तियों में पहली दो की तुक आपस में मिलती है और अंतिम की अपने से ही (चरणार्थी के अनुसार)। शिकारनामा’, यानी शिकार को पुस्तक ’ । शिकार के आनन्द, या उचित रूप में एक सम्राट् के किसी विशेष शिकार का वर्णन करने वाली मसनी को यह नाम दिया जाता है । ‘सलाम, अभिवादन, अली के संबंध में ग़ज़ल या स्तुति, और इसी प्रकार किसी व्यक्ति की प्रशंसा में लिखित हर प्रकार को कविता । सरोद' यानी गीत, गना ।

  • उदाहरण के लिए‘भक्तमाल' संतों पर पुरतक-मैं ।

२ ग्लैडिन ( Gadvin ), ‘डसटेशन' ( Dissertation, दावा ), पु० ८० 3 यह , जो अरखा है, स्वर्गीय हैमरपटिल ( Hammer-Purgstall) द्वारा इस प्रकार अनूदित है ।