पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१२०

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भूमिका ‘सानी-नामा' यानी 'साजी की पुस्तक’ । यहू मसनवी की भाँति लुकः. युक्क लगभग चालीस पंक्तियों की, और शस्त्र की प्रशंसा में, एक प्रकार का डि थिरें (Dithramb, यूनान के सुगनदेव ठेक्स Bacchus के सम्मान में या इसी अर्थ में लिखित कविता) हैं । कवि सामान्यत: साकी को संबो धित करता हैऔर जै कि गज़ल में होता है, अर्थ प्रायः आाध्यात्मिक होता. है । वास्तव में, रदस्यवादी रचयिताओं में, शराब का अर्थ होता है, ईश्वर प्रेम; मैक़ाना, दिव्य विभूति का मन्दिर ; शरत्र बेचने वाला, गुरु के अंत में दयालु सानी स्वयं ईश्वर की मूर्ति है। ‘सालगिरा’- वर्ष का बपिंस आन- अर्थात् जन्मदिन, इस अवसर के लिए बधाई-सम्बन्धी रचना । ‘सोज' । यह शब्दजिसका शब्दार्थ है 'जलन, ए नावेगपूर्ण श्रृंगारी गीत के लिए प्रयुक्त होता है, जिसे ‘वासोत भी कहते हैं। मर्सिया. के छन्दों को ‘सोज़' नाम दिया जाता है । द जूलियात, माक । कभी-कभी मनोरंजक पंक्तियों की कविता को यह नाम दिया जाता हैं । मेरा विचार है कि पीछे दी गई दो तालिका में हिन्दुई और हिन्दुस्तानी को, अर्थात् भारतवर्ष के एक बड़े भाग की घाधुनिक भाषा की, और संस्कृत से उसे अलग करने वाली भाषापद्धति की, उस संक्रांतिकालीन भाषापद्धति की जिसकी लोकप्रिय कविताएँ भारत के मध्ययुग को आक-- बैंक बनाती हैं, और जिसके संबंध में सिर्फ़ -ड उर्दू' के रचयिता का हिन्दू- स्तानी के बारे में यह कथन कि : ‘यह चारुता और माधुर्य को खान है’ और भी उपयुक्त शीर्षक के रूप में, लागू होता है, विभिन्न प्रकार की रच- मात्रों का काफ़ी टी शान करा सकती हैं । मु यह कहना पड़ता है कि हिन्दुस्तानी साहित्य का बहुत बड़ा भाग फ़ारसी, संस्कृति औौर अरबी से अनूदित है ; किन्तु ये आनुवाद प्रायः :