पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भूमिका [ ३५ कि मुझे संग्रह बहुत अच्छे मिलेऔर सहायता अत्यन्त उदार मिली । हिन्दु स्तानी के इस्तलिखित ग्रन्थों का जो ससे अच्छा संग्रह मुझे मिल सकावह ईस्ट इंडिया ।उस के पुस्तकालय का है , और इस पुस्तकालय में विशेषत: लीडन ( Leyden ) संग्रह इस प्रकार का सर्वोम संग्रह है । डॉ० लीडन फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी के परीक्षक थे , उन्होंने इस भाषा का काफ़ी अध्ययन किया था । वास्तव में जो हिन्दुस्तानी की जिदें उन्होंने तैयार की हैं उसमें इतने अन्य अनेक प्राच्यविद्या विशारदों ने सह योग प्रदान किया है, कि साहित्यिक जनता को देने के लिए उन्होंने मुझे जितने की आशा प्रदान की थी उससे भी अधिक विवरण में प्रस्तुत कर सकता हूँ । मैंने मौलिक जीवनियों और संग्रहों को, जिन्हें सामान्यत: तब- किरा- संस्मरण —कहा जाता है, विशेष रूप से देखा हैं । निम्नलिखित के कारण, पंभवतः मुझे अत्यधिक महत्वहीन कवियों का उल्लेख करने के लिए दोषी ठहराया जायगा, किन्तु मैंने उन सपके सम्बन्ध में जिनका उल्लेख किया गया है, एंक लेख देने का, चाहे थोड़े-से शब्दों का ही क्यों न हो, निश्चय किया है । अस्तुयहाँ उन ग्रन्थों के उल्लेख के साथसाथ जिन्हें मैं देखने में समर्थ हो सका हूँ उस प्रकार के ग्रंथों की अकारादिक्रम से सूची दी जाती है जिन्हें मैं जानता हूं । इन ग्रंथों तथा उनके रचयिताधों के संबन्ध में प्रस्तुत रचना के जीवनी औौर ग्रन्थ' सम्बन्धी भाग में विस्तार से बातें मिलेंगी । १. अयार उश्शु’ मरा '-कवियों को कसौटी-.बूष चन्द .ज़का कृत । उन्होंने यहू ग्रन्थ अपने आश्रयदाता मीर नासिरुद्दीन नासिर, साधारणतशात मीर कल्लू, की इच्छानुसार१२४७ ( १८३१-३२ ), अथवा १२०८( १७६२-४४) से १२४७ ( १८३१-३२) तक, लिखा था, क्योंकि ग्रन्थकार ने तेरह वर्ष तक परिश्रम करने का उल्लेख किया है । लुका की मृत्यु १८४६ में हुई, क्योंकि डॉ० फं गर वे ऐसा उनके पत्रों के मुंह से सुना था । -