पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१२३

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से ६६ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास लुका का ‘त किरा’ उन अनेक तज़ किरों में से है जिन्हें मैं अप्रत्यक्ष रूप से जानता हूं। वह फ़ारसी में लिखा हुआ है और उसमें रचनाओं के अंशों सहित लगभग पन्द्रह सौ कवियों की हैं हस्त जीवनियाँ । जो लिखित प्रति डॉ॰ स्नेंगर के पास थी उसमें १५१५ पंक्तियों के लगभग एक इज़ार अठपेजो पृष्ठ हैं। इस प्राच्यविद्याविशारद के विचार से यह तब् फिर बिना किसी आलोचना के लिखा गया है और उसमें पुनरुकियाँ और अशुद्धियाँ भरी हुई हैं । किन्तु उसमें बहुत-सी बातें लेने योग्य हैं, और यह दुःख की बमत है कि उसकी कोई प्रति यूरोप में नहीं है । २. ' न्तिख़ाब-इ दबावीन श्रथया झुलसा दीवानहा, अत्यन्त प्रसिद्ध उर्दू कवियों के चुने हुए दीवान', दिल्ली के साथों (इमाम बख्श) कृत । यद्यपि यह ग्रन्थ वास्तव में संग्रन्थ नहीं हैं, तो भी क्योंकि उर्दू में लिखित दित जीवनियों -एक के बाद काव्यउद्धरण दिए गए हैं , इसलिए उसे प्रकार का तब किर' माना जा सकता है । ३. उमदत उपन्नतच' चुनी हुई बातों का भ, (मुहम्मद वाँ) सरवर कृतरह सौ कवियों की संग्रहबीधनीइस प्रकार की मौलिक रचनाओं में से जो बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं । ४. ‘कवि ( कवि ) वचन सुधा ’-कवियों को बातों का यतबाबू हरि चन्द्र द्वारा कलके से मासिक रूप में प्रकाशित हिन्दी संग्रह । ५. ‘कवि चरित्र -कवियों का इतिहास, जनार्धन द्वारा मराठी में लिखित, किन्तु उसमें हृन्दी कवियों से सम्बन्धित सूचनाएं भी हैं । ६. कवि प्रकाश’-कवि का प्रकटीकरणजो अपने शीर्षक के अनुसार हिन्दी का त जश किरा होना चाहिए । ७, 'काव्य संग्रह -हिन्दी अथवा ‘ब्रज-भाखा' कविताओं का संग्रह, बम्बई के, हो चन्द द्वारा। ८, गुलज़ार-इ इत्राहीम’-इत्राहीम ( अलो ) की गुलाब की क्यारी,