पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१२८

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भूमिका [ १०१ ४५.‘दीवान-इ जह’’(भारतीय) दुनिया का दीवान-अथवा रचयिता के नाम से, ‘जहाँ का’, यद्यपि हिन्दू ने उसे उर्दू में लिखा है । यह तब्- किरा’ उनमें से एक है जिनका मैंने इस इतिहास के लिए प्रयोग किया है । ‘दीवान-जहाँ' जीवनी की अपेक्षा संग्रह आधिधक है, पाँच सौ के लगभग जो लेख उसमें दिए गए हैं उनके संबंध में सूचनाएँ बहुत संक्षिप्त हैं और इसके विपरीत उद्धरण बहुत विस्तृत हैं । ४६. 'दूल्हा राम ने अपनी साधुता के लिए प्रसिद्ध व्यक्तियों की प्रशंसा में अनेक छन्द लिखे हैं, जिनमें से बहुत-से हिन्दी काव्य के रचयिता हैं । ४७. निकात उश्' अरा, मोर (मुहम्मद तक़ो) कृत । उर्ट कबियों के ‘तक्कि’ में सबसे अधिक प्राचीन, यह रचना अठारहवीं शताब्दो उत्तरार्द्ध के सऋसे अधिक प्रसिद्ध लेखकों में से एक के द्वारा लिखी गई , औौर जिसका, उसकी रचनाओं से उद्धरणों सहिंत, ब्यौरेवार विवरण मैं अपनी रचना के जीवनी और ग्रंथ-सूची माग में दंगा । ४८. ‘नौ रतन'नौ बहुमूल्य पत्थर। यह शोॉक्ष, जिसका इस नाम के कंगन, पृथ्वी के न खण्ड, और विक्रमजीत की राज-सभा के इस नाम के नौ प्रधान कवियों से संभव हैमुझम्मद बश द्वारा लिखित हिन्दुस्तानी संग्रह का है । ४e. ‘बात’ या ‘वार्ता’, वलभ और उनके प्रथम शियों के संबंध में, जो निस्संदेह, बल्लम को तरह, ईिन्दी की धार्मिक कविताओं के रचयिता थे, वाहनों का संग्रह । ५०.भक्त चरित्र'-भक्तों की गाथा-अर्थात् हिन्दू संतों की, जो सामान्यतः धार्मिक भजनों और गीतों के रचयिता हैं, जे ने १४ वीं शताब्दी के हिन्दी कवि और कई रवनाथों के रचयिता, उद्धव चिन Ughava Chiddhan) । ५१. मक्त माल-भक्तों को माला—अथवा संत चरित्र' (वैष्णव संप्रदाय के हिन्दू संतों का इतिहास ), पहली रचना की मति ।