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१०६ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास

प्रायः उल्लिखित कवियों के नाम और उनकी प्रतिभा के उदाहरणस्वरूप उनकी रचनाओं से कुछ पच उद्धत किए हुए मिलते हैं । अत्यधिक विस्तृत सूचना ग्रों में, उनकी जन्मतिथि प्रायः कभी नहीं मिलतीमृत्युतिथि, श्रौर व्यक्तिगत जीवन से संबंधित विस्तार मुश्किल से मिलते हैं । उनकी रचनाओं के संबंध में भी लगभग कुछ नहीं कहा गयाइसी प्रकार उनके शीर्षकों के बारे में, हमारी समझ में यह कठिनाई से आता है कि इन कवियों ने अपने अस्थायी पत्रों का संग्रह ‘दीवान ’ में किया है, और इस बात का संकेत केवल इसलिए प्राप्त होता है क्योंकि जिन कवियों ने एक या कई ऐसे संग्रह प्रकाशित किए हैं वे ‘दीवान के रचयिता' कहे जाते हैं, जो शीर्षक उन्हें अन्य लेखकों से अलग करता है, और जो महाकवि' का समानार्थ वाची प्रतीत होता है । इन तओिं का ख़ास उपयोग यह है कि जिन कवियों की रचनाएँ यूरोप में अज्ञात हैं उनके उनमें अनेक श्र वतरण मिल जाते हैं । मूल जीवनी लेखकों में से मीर एक ऐसे हैं जो उद्धत पत्रों के संबंध में कभी-कभी अपना निर्णय देते हैं , वे दूसरों से ली गई बातें और कुछ हद तक अनुपयुक्त और त्रुटिपूर्ण प्रतीत होने वाली आर्थिजनाएँ चुनते हैं, और जिस कवि के अवतरण वे उद्धृत करते हैं, उनमें किस तरह होना चाहिए था प्राययह बताते हैं । इसके अतिरिस, यदि विश्वास किया जाय तो, ख़ास तौर से उर्दू कवियों से संयंधित जीवनियों में उनका जीवनीग्रंथ ससे अधिक प्राचीन है ।' मौलि क जीवनियाँ जो मेरे ग्रंथ का मूलाधार हैं मम ‘तखल्लंसों २ था कायोपमामों के अकागIदिक्रम से रखी गई हैं । मैंने यही पद्धति ग्रहण की है, यद्यपि शुरू में मेरा विचार कालक्रम ग्रहण करने का था । और मैं यह त्रात छिपाना नहीं चाहता कि, यह क्रम अधिक अच्छा रद्दता, १ निकाह उश्शु' अराकी भूमिका २ इस शब्द का जो अरबी है, शाब्दिक अर्थ ‘प्रयोग' है क्योंकि कवि उसका अपनो कल्पना के अनुसार अपने लिए प्रयोग करते है।