पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१३४

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भूमिका [ १०७ या कमसेकम जो शीर्षक मैंने अपने ग्रन्थ को दिया है उसके अधिक उपयुक्त होता ; किन्तु मेरे पास अपूर्ण सूचनाएँ होने के का ण उसे ग्रहण करना कठिन हो था । वास्तव में, जन मैं उसके संबंध में कहना चाहता" हूँ, मौलिक जीवनियाँ हमें यह नहीं बतातीं कि उल्लिखित कवियों ने किस काल में लिखा हैं और यद्यपि उनमें प्रायः काफ़ी अवतरण दिए गए हैं, तो भी उनसे शैली के संबंध में बहुत अधिक विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रतिलिषि करते समय उनमें ऐसे पाठ संबंधी परिवर्तन हो गए हैं जो उन्हें आधुनिक रूप प्रदान कर देते हैं, चाहे कभीकभी वे प्राचोन ही हों । जहाँ तक हिंदुई लेखकों से संबंध है, उनकी भी अधिकांश रचनाओं की निर्माण तिथियाँ निश्चित नहीं हैं । यदि मैंने कालक्रम बाली पद्ध ति ग्रहण की होती, तो अनेक विभाग स्थापित करने पड़ते : पहले में मैं उन लेखकों को रखता जिनका कल अच्छी तरह ज्ञात है के सरे में उनको जिनकाः काल सन्दे नक है के अंत में, तीसरे में, उन्हें जिनका काल अज्ञात है । यही विभाजन उन रचनाओं के लिए करना पड़ता जिन्हें इस ग्रंथ के प्रधान अंश में स्थान नहीं मिल सका । अपना कार्य सरल बनाने और पाठक की सहूलियत दोनों ही दृष्टिों से मुझे यह पद्धति, यद्यपि व अधिक बुद्धि-संगत थो, स्वेच्छा से छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा। तो भी इस विभाजन को रूपरेखा इस प्रकार है : सबसे पहले हिन्दू कवि हैं '; और ग्यारहवीं शताब्दी से २ मुसलमान कवि मसूद-इ साद ( Mack tdi Sa” ad ), जिनके सबंध में नैनियल ब्लैंड(Nath. Blandने १८५३ में 'जून एसियातीक' में नस्यन्त रोचक १ यह निश्चित करना कठिन है कि हिन्दी के सबसे अधिक प्राचीन कवि किस" समय हुए । तो भी मैने ‘अमर शतक’ द्वारा शात संस्कृत कवि, शंकर आचार्य , का उल्लेख किया है, जो नवीं शताब्दी में रहते थे और जिन्होंने कुल हिन्दी कविताएँ लिखी प्रतीत होती हैं । २ १०८० के लगभग