पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१४१

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१४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास राजधानी, कल को दृष्टि से ऐसा नाम है ) के प्र।चीन प्रदेशों, दिल्ली, आयराऋज और बनारस के हिन्दू हैं, जिन्होंने हिन्दी में लिखा है । बहाँ तक दक्खिनी, निश्चित रूप से यही कहे जाने वाले, कवियों से घ है, वे दो सौ नहीं हैं, इस प्रकार मेरे द्वारा उल्लिखित कवियों में से बहुत बड़ी संख्या में वास्तविक उर्दू बोली में लिखा है, जो सबसे अधिक शुद्ध हिन्दुस्ती समझी जाती है । यदि हम इन कवियों के नगरों के नामों की घोर ध्यान दें, तो हमें वे मिलेंगे बहाँ ये दो मुसलमानी बोलियाँ न केवल प्रयुक्त होती हैं वरन् जहाँ उनकी अत्यधिक वृद्धि हुई है । दक्खिनी के लिए हैंः सूरत, बंबईमद्रास, हैदराबाद, श्रीरंदुपट्टनगोलकुण्डा: उर्दू के लिए : दिल्ली, जागरालाहौर, मेरठ, लखनऊ, बनारस, कानपुरमिर्जापुर, फैजाबाद, इलांद बाद और वखकल, बहाँहिंन्दुस्तानी प्रादेशिक रूप में भी बोली जाती है । अमन, जो हिन्दुस्तानी के प्रथम गद्य-लेखक स जाते हैं, ने कलक्के में लिखा, और उन्होंने इस विषय पर‘'बा औो बहार’ की भूमिका में कहा हैः मैंने अपने से भी उर्दू भाषा का प्रयोग किया है, और मैने बंगाल को हिन्दुस्न में परिववि कर दिया है ।' केवल नाम द्वारा मुसलमान या हिन्दू लेखक को पहिचान लेना सरल है, और साथ ही कवियों के नामों पर विचार करना बड़ा अच्छा अध्ययन होगा । मैने अन्यत्र ' मुसलमान नाों और उपाधियों पर विचार किया है; मैं अपने को केवल भारतवर्ष के मुसलमानों द्वारा ग्रीत छः विभिन्न नामों, उपवाम या उपाधियोंजिनमें से अनेक दो-दो या तीन-तीन, के उल्लेख वक सीमित रहँगा, अर्थात् आलमया मुसलमान सन्तों के नामों, ‘लकम, एक प्रकार का सम्मान सूचक उपनाम, जैसे गुलाम अकबर--ईश्वर का दास, ‘इमदाद अकीर -अली की कृपा ’ कुयात’ ( Kunyat ) वंश या पितृकुल बताने वाले उपनाम,बैो । अबू तालिबतालिब का पिता,इब्न हिशम ‘मेम्वार सूर है नाँ ये तीव्र मुसलम' (मुसलमानी नामों और उपाधियों का विक्रण) ..