पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१४२

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भूमिका [ ११५ (ischanहिशम का टा; निस्बत, देश या उत्पत्ति बताने वाले उपनाम जैसे लाहौरी- लाहौर का, कनौजी' कनौज का; ख़िताब, पद या जाती यता सूचक उपनाम, जैसे त, मिर्जा आदिऔर अंत में कांस्य पनाम या तख़खका जो सामान्यतः एक अरबी या फ़ारसी, न कि भारतीय, संज्ञा या विशेषण होता है । मुसलमन रचयिताओं द्वारा धारण किए जाने वाले इस्लामी संतों के नामों के स्थान पर, हिन्दू अपने देवताओं या उपदेवताओं के नाम ग्रहण करते हैं । उदाहरण, मुसलमान नाम रखते हैं. मुहम्मद, अलीइब्रा हीम, इसन, हुसेन, आादि : हिन्दू, इर, नारायणराम, लक्ष्मणगोपीनाथ, गोकुलनाथकाशीनाथ, आदि । मुसलमानों के अब्दुल अली’- —सर्वोच्च का दास, गुलाम मुहम्मद -—मुहम्मद का दास, अली मदन' -ब-आली का आादमीआदि सम्मान- सूचक उपनाम हिन्दुओं के शिवदास’शिव का दास, ‘कृष्ण-दास, ‘माधोदास’ और ‘केशवदास' -कृष्ण का दास, ‘नन्ददास ’ -नन्द का दास, ‘इलधरदास'इल धारण करने वाले अर्थात् बल का दास, ‘सूर दास’ सूर्य का दास, के अनुरूप हैं । और हिन्दू केवल अपने देवताओं के ही दास नहीं हैं, वरन् पवित्र नारोंऔर दिग्य नदियों तथा पौधों के भी दास हैं । इस प्रकार, हमें ‘गंगादास' -गंगा का दास, तुलसीदा’--तुलसी Kocimum sanctum)ा दास, ‘अग्रदास’ -नागरे का दास, काशी दासबनारस का दास, ‘मथुरदास -ए-मथुरा का दास, ‘द्वारिका-दास ' अलौकिक रूप में कृष्ण द्वारा स्थायित नगर का दास, मिलते हैं । १ अंतिम तोन नाम क्षण के नाम हैं । २ इस नाभ, जो भारत के एक प्रसिद्ध व्यक्ति का है, का ठोक-अर्थ है अली के लोग, क्योंकि मन'मर्द'--आदमो का बहुबचन है ; किन्तु भारतवर्ष में कभी कभी बहुवचन एकघबचन का रूप धारण कर लेता है, जैसा कि मैं अपने ‘मेम्वार सूर लै नौ ऐ तीत्र मुसलमाँ' में उल्लेख कर चुका हूं।