पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१४३

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११६] हिंदुई साहित्य का इतिहास ‘महबूब अली’-अली का प्रियमहबूब हुसेन हुसेन का प्रिय आदि उपाधियाँश्रीलाल -श्री यह लक्ष्मी का श्रिय‘हरबंस लाल , शिव की जाति का लियके अनुरूप हैं । ‘आता उल्ला?'-ईश्वर का दिया हुआ, ‘अता मुहम्मट--मुहम्मद का दिया हुआI, ‘अली ख़्श'-आली का दिया हुआ, मुसलमान उपा- चिंयाँ हिंन्दू उपाधियों ‘भगवान् दत --गवान् का दिया हुछाराम प्रसादम दिया हुआ, शिव-प्रसाद’ शिव का दिया हुआ, ‘काली प्रसाद'दुर्गा का दिया हुआ, के अनुरूप हैं । मुसलमान उपाधियों ‘असट: (Agad) औौर ‘शेर' – सिंह की तुलना में हिंदू उपाधि ‘सिंह’ है जिसया वही अर्थ है । जहाँ तक ख़िताभ, नामक उपाधि से संबंध है, हिन्दुओं की विभिन्न जातियों की अपनीअपनी विशेषताएं हैं ? इस प्रकार ब्राह्माणों को शम’, ‘चौबे’, ‘तिवारी, ‘दुवे’, पांडे, शाली' की उपाधियाँ दी जाती हैं , क्षत्रियोंराजपूतों और सिक्व को ‘ठाकुर , राइ, ‘ Raj ), सिंह ' की ; वैश्यों, व्यापारियों या मद्दा- जनों को सहया ‘सेठ’ और ‘लाला’ की ; शिक्षितों को पंडित’ और सिन’ की ; वैद्यों को मिश्र ने की। हिन्दू फकीर ‘गुरु, ‘भगत, ‘गोसाईं’ या ‘साईऔर सिक्ख फ़क़ीर 'माई-भ्राता के कहे जाते हैं। हिन्दुओं के अनुकरण पर, भात के मुसलमान चार वर्षों में विभाजित हैं : चैवद, , मुग़ल और पठान । पहले मुहम्मद के वंशज हैं मैं दूसरे, मूलत: , वे हैं जो इस्लाम स्वीकार करने वालों को इस नाम से पुकारने १ यह त्रशब्द, जिसका अर्थ है प्रसन्न’, ‘हितोपदेश' के रचयिता के नाम का एक मग था । २ अर्थात् कट्टर, शान मानने वाला। ३ मुसलमान अपने चिकित्सकों को हकीम डाक्टर, कहते हैं ।

  • हिन्दुस्तानी कवियों में एक भाई गुरदास है और एक ‘भाई’ नन्द लाल ।