पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१४८

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L १२१ उन्हें अंगस्ट ( Auguste ) या ऑगस्टिन ( Augustin ) का पुत्र और सरधना की रानी का कर्मचारी बताते थे । वे सुन्दर कविताओं के रचयिता हैं, औौर, साहिब की भाँति, दिल्ली के प्रसिद्ध कवि, दिलसोज के शिष्य । हिन्दुस्तानी के एक और सामयिक, ईसाई औौर अँगरेज़, कवि का उल्लेख किया जाता है, जिसका मूल जीवनीलेखक ने उल्लेख करते हुए ‘जरिज बंस शोर, अर्थात्संभवत, जॉर्ज बन्र्स शोर, नाम लिया है। जीवनी लेखक द्वारा कुल का नाम तखल्लुस' -शोरगुल -—के रूप में समम लिया गया है । अंत में हिन्दुस्तानी के कवियों में दिल्ली के निवासी दो अंगरेजों का उल्लेख किय। जाता है, ‘सफ़ान, अर्थात् निस्संदेह स्टीफ़ेन' या 'स्टीवेन्स' , जो १८०० तक जीवित , और ‘जॉन मस, यर्थात् जॉन टेग्स, जिनका नाम ‘खाँ साहब' भी था, सामयिक कवि । ये कवि संभवतः व -संकर ( half cast ) ये । स्वयं मुझे हिन्दुस्तानी के एक इसी श्रेणी के कवि का नाम शात है, सरधना । की रानीके दत्तक पुत्र, गर्षीय डइस सोंगा, जिनका मैं उल्लेख कर रहा है, जिस व्यक्ति का नाम प्रायः, अपने अधिकारों से वंचित होने ’ के कारण, जिसके विरुद्ध वे उसे फिर से प्राप्त करने में लगे हुए हैं, गरेज़ी पत्रों में आता रहता है । डाइस सनर्जी एक ख़ास तरलता के साथ हिन्दुस्तानी कविताओं की रचना कर लेते थे, और बड़े अच्छे ढंग से उनका पाठ कर लेते थे। हिन्दुस्तानी के ऐसे कवि का उल्लेख किया जाता है जो हब्शी था और जिसका नाम सीदी’ हामिद बिस्मिल था। विशप ग्रेग्वार (Grdgoire) १ करीम २ यह उपाधि, जो मंयिदों का अमफ्रीकी उच्चारण है, भारत में केवल इौ उत्पत्ति के मुसलमानों को दो जाती है ।