पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१५३

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१२६ 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास और विशेषतः संस्कृत के उन उत्साहियों की जो सामान्य भाषाओं से, बिना। यह बात ध्यान में रखे हुए कि वे ही अवसर आने पर साहित्यिक भाषाएँ बन जाती हैं, और हर हालत में, वे ही सभ्यता का वाहन और वर्तमान को भविष्य से जोड़ने वाली श्रृंखला हैं, घृणा करते हैं ।