पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१६७

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१२ ॥ हिंदुई साहित्य का इतिहास ७. हस्तामुलका टीका’ शंकराचार्य कृत हस्तासलका' पर टीका ८. ‘भाबातें रामायण'-वाल्मीकि कृत रामयण पर टीका ई. ‘स्वात्म सुख--आन्तरिक सुख कार भट्ट ( श्री पंडित ) सीहोर ( Sehore ) के रहने वाले, सालवा के एक प्रधान और अत्यधिक विद्वान ज्योतिषी हैं जो अपने देशवासियों को ठीक ठीक ज्योतिष सिद्धान्त, जिसके बारे में उन्हें ( देशवासियों को ) सही धारणा बहुत कम है, समझाने के उद्देश्य से लिखे गए एक ग्रंथ के रचयिता हैं। ‘भूगोल सव' शीर्षक यह रचना वास्तव में सूभा जी बापू द्वारा मराठी में” पौराणिक ज्योतिषिक सिद्धान्त, सिद्धान्त' और कोपरनिकसपर लिखित सिद्धान्त शिरोमणि प्रकाश' शीर्षक पुस्तक का स्वतंत्र अनुवाद है । ये दोनों रचनाएँ कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में हैं। इस पिछली पुस्तक के संबंध में स्वर्गीय मेक नाटन ( Mac Naghten ) द्वारा कलकत्ले की एशियाटिक सोसायटी को प्रेषित एक पत्र में, भिलसा में गवर्नर जनरल के एजेंट, श्री विल्किन्सनका मत इस प्रकार है : यह रचना कठोर से कठोर आलोचक की कसौटी पर कसी जा सकती है ः वह दार्शनिक विचारों से पूर्ण है । क्योंकि विभिन्न देशों में पैदा हुई चीजों की आपस में एकदूसरे के आवश्यकता पड़ती है, ग्रन्थकार ने उससे यह निष्कर्ष निकाला है कि ईश्वर व्यक्तिगत हित पर आधारित स्नेह के बंधन के व्यापार में प्राणियाँ को बाँधना चाहता था। इसलिए उसका विचार है कि हिन्दुओं द्वारा 7 भा० ईश्वर का रहस्यपूर्ण नाम' ३ यह रचना छप चुकी है । दे०, 'जर्नल ऑव दि एशियाटिक सोसायटी ऑब कैलकटा', जि० ६, ७ ४०२