पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१६८

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कनार दास T १३ & ' । विदेश यात्रा पर लगाया गया प्रतिबंध प्रकृति के विरुद्ध है । उसने ज्योतिषिक भविष्यवाणियों पर आक्रमण किया है, और ईश्वर की दया तथा उदारता की ओर ध्यान दिलाया है, जो आश्च जनक रूप में भविष्य की रक्षा करता है, और जो हमारे कामों में एक निश्चित आशावादिता से सदैव हमारा पोषण करता है । उसने हिन्दुओं में भूगोल या महविज्ञान-संबंधी अनेक प्रचलित भद्दी भूल में से किसी को भी बिना उसका पूर्ण तथा संतोषजनक रूप में खण्डन किए बिना नहीं छोड़ा । जैसा कि ज्ञात हो जाता है कि यह सिद्धान्त' और कोपरनिकस की तुलना में पौराणिक ज्योतिषिक सिद्धान्त का हिन्दी में खण्डन है । उसका अगरजा में शीर्षक है : A Comparison of the Puranic and Sidhantic Systems of astronomy with that of Copernicus; अठपेजी, आगरा१८४१। कनार दास' बुन्देलखण्ड के लेखक, जिनकी देन स्नेह लीला' है—रचना जिसका उल्लेख वॉर्ड ने अपनी ‘ए के ऑध दि हिस्ट्री, एसीटेरा अब दि हिन्दूरशीर्षक विद्वत्तापूर्ण और महत्वपूर्शी कृति में किया है । यह उत्तरपश्चिम प्रदेश के देशो स्कूलों में पढ़ाए जाने के लिए प्रकाशित हिन्दी गद्य में एक कथा है । । इसी शीर्षक की एक छोटी कविता है, और जो सात कविताओं के एक संग्रह का भाग है, जिसकी पहली कविता सूर्य पुराण'. १ संभवतः कणाद दास, ( अर्थात् ) वैशेषिक नामक दार्शनिक प्रणाली के जन्मदात कणाद के दास या शिष्य २ जि० २, शु० ४८