पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१७७

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२२ हिंदुई साहित्य का इतिहास बनवा दी । कबीर संप्रदाय के लोग या कबीरपंथी समान रूप से इन दोनों स्थानों पर जाते हैं। कबीर के वास्तविक जीवनकाल के सम्बन्ध में कुछ अनिश्चितता है । भक्तमाल और उसकी टीका करने वाले प्रियादास, ‘खुलासतुत्ताबारीख, और अंत में अबुलफजल' के अनुसार, कबीर सिकन्दर लोदी, जिसका राजत्वकाल १४८८ से १५१६ ई० तक रहा, के समय में जीवित थे, और इस सुलतान से पहले ही अपने सिद्धान्त विकसित कर लिए थे । दूसरी ओर, रामानंदजिनके कबीर शिष्य थे, चौदहवीं शताब्दी के लगभग अंत में रहते ,२ जिससे कनिंघम द्वारा दी गई कबीर के उपदेशों की लगभग तिथि १४४० बहुत कुछ संभव प्रतीत होती है किन्तु यूक्रेनैन’ ने १२७४ उनकी मृत्यु की निश्चित तिथि दी है - तिथि जो उन्होंने अत्यन्त बुद्धिमान और विश्वसनीय प्रतीत होने वालेपटना के कबीरपंथी विवेकदास से ली । कबीरपंथियों की परम्परा के अनुसार उनका जन्म १२०५ संवत् , १०७० शक संवत् (११४८ ई० ) में हुआ। , मृत्यु १५०५ संवत् , १३७० शक संवत् ( १४४८ ई० ) में हुई, और उनकी आयु तीन सौ वर्ष की होनी चाहिए । उनका जन्मस्थान, जो कबीरकशी के नाम से प्रसिद्ध है, एक तीर्थस्थान है। कबीर मूलतः मुसलमान थे : रामानंद की भाँति उनके बारह 3 ‘आईल अकबर’, जि० २, ३० ३८ २ ‘एशियाटिक रिसर्दी, जि० १६, ४० ५६ 3 हिस्ट्रो व दि सिक्स, पृ० ३४ ४ मौटगोमरी मार्टिन, ईस्टर्न इंडिया, जि० २, ४८ई। ४० हम'ऑोंने सूफीज्म, 'ट्रांजैक्शन ऑव एशियाटिक सोसायटी व बॉम्बे' में, ०ि १, २ १०४